
2 मई 2025। एक लोकतांत्रिक और विविधतापूर्ण समाज जैसे भारत के लिए, विश्वसनीय और समय पर सूचना तक नागरिकों की पहुँच न केवल उनका अधिकार है, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की पहली शर्त भी है। जब लोग भरोसेमंद खबरों के आधार पर निर्णय लेते हैं, तब वे अफवाहों और दुष्प्रचार के खिलाफ मजबूत ढाल बन जाते हैं।
भारतीय संदर्भ में, यह और भी जरूरी हो जाता है, जहाँ एक ओर डिजिटल मीडिया का विस्फोट हुआ है, वहीं दूसरी ओर फेक न्यूज़ और व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी जैसी परिघटनाओं ने सूचना तंत्र को चुनौती दी है। ऐसे समय में, स्थानीय पत्रकारिता – वह पत्रकारिता जो ज़मीन से जुड़ी है, स्थानीय मुद्दों को उठाती है, और आम आदमी की आवाज़ को मंच देती है – दुष्प्रचार का सबसे प्रभावी जवाब बन सकती है।
हाल ही में कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा किए गए अध्ययन ने यह दिखाया कि जब स्थानीय समाचार पत्र और रिपोर्टिंग कमजोर होती है, तब नागरिक भागीदारी, ज्ञान और भरोसे में गिरावट आती है – और यहीं से दुष्प्रचार पनपता है। भारत के कई ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यही देखा गया है, जहाँ स्थानीय मीडिया के सशक्त न होने से लोग अफवाहों का शिकार हो जाते हैं।
भारत जैसे बहुभाषी देश में, स्थानीय पत्रकार ही होते हैं जो क्षेत्रीय भाषाओं में समाचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर पाते हैं। मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, तमिलनाडु या ओडिशा जैसे राज्यों में स्थानीय पत्रकार अपनी जनभाषा में रिपोर्टिंग करके न केवल सूचनाएँ पहुंचाते हैं, बल्कि लोकतंत्र को स्थानीय स्तर पर मजबूत करते हैं।
दुर्भाग्यवश, आज भारत में भी स्वतंत्र स्थानीय मीडिया आर्थिक तंगी, सरकारी दबाव, और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की विज्ञापन पर एकाधिकार जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ग्रामीण व छोटे शहरों के पत्रकारों को संसाधनों की भारी कमी का सामना करना पड़ता है, साथ ही कई बार उनकी जान को भी खतरा होता है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (3 मई) के अवसर पर, हमें यह याद रखना होगा कि पत्रकारिता केवल दिल्ली और मुंबई के स्टूडियो में नहीं होती। असली लोकतंत्र की सांसें उस पत्रकार के पास होती हैं जो किसी कस्बे में बैठकर भ्रष्टाचार का खुलासा करता है, या किसी गांव में पीने के पानी की समस्या को उजागर करता है।
इसलिए मेरा अनुरोध है —
अपने इलाके के स्वतंत्र स्थानीय मीडिया का समर्थन करें। उनके न्यूज़ पोर्टल की सदस्यता लें, यदि वे सब्सक्रिप्शन मॉडल पर हैं तो उसका हिस्सा बनें, विज्ञापन के माध्यम से उनका सहयोग करें, या बस उनके काम की सराहना का एक ईमेल या मैसेज भेजें।
जब हम स्थानीय पत्रकारों को सशक्त बनाएंगे, तभी हम भारत को दुष्प्रचार से मुक्त एक सशक्त लोकतंत्र बना पाएंगे।
-दीपक शर्मा