
हांगकांग, 31 मई 2025 – वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और अमेरिकी नीतिगत दिशा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच एशिया के बड़े वित्तीय संस्थान अमेरिकी संपत्तियों में अपने निवेश रणनीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं। मौजूदा समय में एशियाई जीवन बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों और ट्रेडिंग हाउसों के पास करीब 7.5 ट्रिलियन डॉलर मूल्य की अमेरिकी होल्डिंग्स हैं, जिनकी समीक्षा अब तेज हो गई है।
ब्लूमबर्ग टेलीविज़न की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र की ओर से अमेरिकी डॉलर, ट्रेजरी बांड और इक्विटी में बड़े बदलाव की आशंका जताई जा रही है। निवेशकों के इस रुख में मामूली फेरबदल भी वैश्विक बाजारों में उल्लेखनीय प्रभाव डाल सकता है। ताइवान डॉलर और दक्षिण कोरियाई वॉन जैसी एशियाई मुद्राओं में हालिया अस्थिरता और अमेरिकी ट्रेजरी में आए उतार-चढ़ाव इस संभावित बदलाव के शुरुआती संकेत माने जा रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि एशियाई निवेशक अब अमेरिकी सरकार के ऋण और मौजूदा राजकोषीय नीतियों की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं। यह केवल एशिया तक सीमित नहीं है – अमेरिका और यूरोप के प्रमुख वित्तीय केंद्रों में भी इन्हीं विषयों पर गहन चर्चा चल रही है।
अमेरिकी व्यापार नीतियों और आर्थिक पुनर्गठन के चलते निवेश माहौल और अधिक जटिल होता जा रहा है। इन परिस्थितियों ने "बॉन्ड विजिलेंट्स" के संभावित लौटने की बहस को भी जन्म दिया है – वे निवेशक जो राजकोषीय या मौद्रिक अनुशासन के पक्ष में बॉन्ड बेचते हैं।
इस बीच, मुद्रास्फीति की बढ़ती आशंकाएं भी बाजार को प्रभावित कर रही हैं, खासकर एशियाई मुद्राओं पर इसका दबाव देखा जा रहा है। ताइवान डॉलर और दक्षिण कोरियाई वॉन जैसी मुद्राएं पहले ही कमजोर हो चुकी हैं, जिससे क्षेत्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।
बदलती वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों में यह रणनीतिक पुनर्संतुलन दुनिया भर के निवेशकों को अधिक सतर्क और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय पूंजी प्रवाह की दिशा में बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।