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श्रीमहाकालेश्वर उज्जैन-इंदौर-पीथमपुर मेट्रो कॉरिडोर के लिये डी.पी.आर. बनाने परामर्श शुल्क की स्वीकृति

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 442

प्रदेश में 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना एवं 60 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना कैप्टिव मोड पर स्थापित करने का अनुमोदन
ई-विवेचना ऐप के लिए 75 करोड़ रूपये से 25 हजार टैबलेट क्रय का निर्णय
"प्रति न्यायालय एक अभियोजक" के सिद्धांत पर 610 नवीन पदों की स्वीकृति
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक

26 अगस्त 2025। मंत्रि-परिषद के निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा उज्जैन-इंदौर-पीथमपुर लाइन के प्रथम चरण में श्रीमहाकालेश्वर उज्जैन लवकुश चौराहा, इंदौर एवं द्वितीय चरण में लवकुश चौराहा से पीथमपुर, मेट्रो रेल परियोजना की डीपीआर बनाने के कार्य के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को परामर्श शुल्क 9 लाख रूपये प्रति किमी की दर (जीएसटी के अनुसार) का अनुमोदन किया गया।

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में संचालित क्राईम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टम (CCTNS) प्रोजेक्ट के सतत् क्रियान्वयन एवं संचालन के लिए 5 वर्षों (वर्ष 2021-22 से 2025-26) के लिए स्वीकृत लागत 102 करोड़ 88 लाख रूपये की योजना में ई-विवेचना ऐप के लिए 75 करोड़ रूपये से 25 हजार टैबलेट क्रय करने की स्वीकृति दी। संशोधित/विस्तारित (CCTNS) योजना की कुल राशि 177 करोड़ 87 लाख 51 हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान गयी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी पुलिस थानों में CCTNS प्रोजेक्ट 2012 से स्वीकृति है। नए चरण में सभी विवेचना अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक टेबलेट दिया जाता है। जिससे मौके पर समस्त कार्यवाही हो सके। इसके लिए ई-विवेचना ऐप बनाया गया है। प्रथम चरण में 1732 टेबलेट खरीदे गए हैं।

610 नवीन पदों की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वाराभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के प्रभावी क्रियान्वयन, आपराधिक न्याय प्रशासन के सुचारू संचालन एवं प्रदेश के सभी दण्ड न्यायालयों के समक्ष "प्रति न्यायालय एक अभियोजक" के सिद्धांत अनुसार अभियोजकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लोक अभियोजन संचालनालय के तहत 610 नवीन पदों की स्वीकृति प्रदान की गई।

स्वीकृति अनुसार अभियोजन संचालनालय के पदों के सृजन में अतिरिक्त लोक अभियोजक के 185 पद, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी के 255 पद, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के 100 पद और सहायक कर्मचारी के 70 पद का सृजन किया गया है। पद सृजन पर तीन वर्ष में लगभग 60 करोड़ रूपए का व्यय आयेगा।

प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर विद्युत क्रय किये जाने का निर्णय

एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा मंत्रि-परिषद की 24 जनवरी 2025 को हुई बैठक के पालन में प्रदेश में स्थापित की जाने वाली 4000 (3200+800 मेगावाट "ग्रीनशू") मेगावाट क्षमता की प्रस्तावित नवीन ताप विद्युत परियोजनाओं से प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर विद्युत क्रय के लिए जारी निविदा अंतर्गत चयनित तीन विकासकों से क्रमशः 800 मेगावाट, 1600 मेगावाट एवं 800 मेगावाट विद्युत क्रय के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा चयनित विकासकों से अतिरिक्त 800 मेगावाट विद्युत का क्रय "ग्रीनशू" प्रावधान का उपयोग कर, निविदा की शर्तों एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रदत्त स्वीकृति के अनुसार किया जायेगा। उक्त स्वीकृति के पालन में अग्रिम कार्यवाही एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के समक्ष टैरिफ स्वीकृति के लिए याचिका दायर करने के लिए एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को अधिकृत किया गया है।

कैप्टिव मोड पर सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने का अनुमोदन

मंत्रि-परिषद द्वारामध्यप्रदेश जल निगम की समूह ग्राम पेयजल प्रदाय योजनाओं के संचालन-संधारण व्यय को कम करने के लिए प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजना एवं पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित किए जाने की स्वीकृति दी गयी।

स्वीकृति अनुसार प्रदेश में 100 मेगावाट सौर उर्जा एवं 60 मेगावाट पवन उर्जा परियोजना कैप्टिव मोड पर स्थापित किए जाने, निविदा से प्राप्त दरों पर विद्युत् क्रय किए जाने एवं उत्पादित विद्युत देयकों के भुगतान की सुनिश्चितता के लिए "भुगतान सुरक्षा व्यवस्था" के अंतर्गत 6 माह का रिवोल्विंग लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किए जाने के लिए अनुमोदन दिया गया।

मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा 35 हजार से अधिक ग्रामों के 75 लाख परिवारों को पेयजल 60,786 करोड़ रुपए की लागत से 147 समूह ग्राम पेयजल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उक्त परियोजनाओं के लिये निजी भागीदारी के माध्यम से क्रियान्वयन किए जाने के लिये 24 मार्च 2025 को मंत्रि-परिषद द्वारा सैद्धांतिक सहमति दी गई है।

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