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चित्रकूट हार की समीक्षा जरूरी, कांग्रेस को प्राणवायु, भाजपा सकते में

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Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 18195

12 नवंबर 2017। भाजपा के लिए बेहद जरूरी मानी जा रही चित्रकूट विधानसभा सीट कांग्रेस ने जीत ली है। विधायक प्रेम सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी ने भाजपा के शंकर दयाल त्रिपाठी पर करीब 14333 वोट से जीत दर्ज की है। कांग्रेस की ये जीत भाजपा के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।



राम की नगरी कही जाने वाली सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा सीट में एक बार फिर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी ने ये सीट 14333 वोटों के साथ जीती है। 19 राउंड की मतगणना में जहां कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी को 66810 वोट हासिल हुए वहीं भाजपा के उम्मीदवार शंकरदयाल त्रिपाठी को 52477 वोट मिले। पहले राउंड में जहां भाजपा को बढ़त मिली लेकिन उसके बाद हर राउंड में कांग्रेस भाजपा को पछाड़ती नजर आई। 11 वे राउंड में वोटों की गिनती के बाद से ही कांग्रेसी जीत का रुझान दिखने लगा था।बहारहाल मुख्यमंन्त्री समेत दर्जन भर मंत्रियों की मेहनत के बावजूद भाजपा का कांग्रेसी गढ़ को न भेद पाना भाजपा को निराश कर रहा है।यही वजह हैंकि अब भाजपा कह रही है चित्रकूट कांग्रेसी की परंपरागत सीट है इसलिए जीत स्वाभाविक है।



... 9 नवम्बर को चित्रकूट चुनाव में 65 फीसदी मतदान हुआ जिसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा था।

चित्रकूट विधानसभा सीट कांग्रेसी विधायक प्रेम सिंह के निधन से खाली हुई थी।कांग्रेस की परंपरागत सीट समझे जाने वाली इस सीट पर 2008 में यहसिर्फ एक बार ही बीजेपी जीत का परचम लहरा पाई थी।वहीं किसान आंदोलन के बाद ये पहला चुनाव था जो बीजेपी के लिए जीतना बेहद जरूरी हो गया था।दरअसल इस जीत के बहाने बीजेपी ये दिखाना चाहती थी कि जनता का सरकार से मोहभंग नही हुआ है।यही वजह थी मुख्यमंन्त्री ने चित्रकूट विधानसभा में 100 से ज्यादा रोड शो ओर सभाएं की थी वहीं सआर्कार के एक दर्जन मंत्रियों समेत संगठन के तमाम दिग्गज चित्रकूट में डेरा डाले रहे लेकिन जीत का सेहरा फिर भी कांग्रेस के सर ही बंधा।इस जीत से उत्साहित कांग्रेस अब 2018 मैं भारी जीत की उम्मीद कर रही है।



-भले ही कोई उपचुनाव किसी आम चुनाव में जीत हार का पैमाना नही बनता बावजूद इसके 14 सालो से सत्ता में मौजूद बीजेपी के लिए ये खतरे की घंटी है कि क्या वजह है इतने सालों में सरकार अपनी योजनाओं नीतियों विकास कार्यो को आम जनता तक नही पहुचा पाई।क्या वजह है कि मुख्यमंन्त्री समेत संगठन के तमाम प्रयासों के बावजूद बीजेपी ये सीट हार गई।जाहिर है जब तक भाजपा इन सवालों का जवाब नही ढूंढेगी चौथी बार सत्ता का शिखर भाजपा के लिए चढ़ना मुश्किल होगा।



- डॉ. नवीन जोशी



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