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प्रदेश में गौण खनिजों का अवैध उत्खनन अब सेटेलाईट से पता चलेगा

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 1272

Bhopal: तैयारी धीमी गति से चल रही,चार साल लग गये
13 अक्टूबर 2020। प्रदेश में गौण खनिजों का अवैध उत्खनन अब सेटेलाईट की मदद से पकड़ा जायेगा। लेकिन इसके लिये जो तैयारियां की जा रही हैं, वह धीमी गति से चल रही है।
दरअसल राज्य सरकार ने अपनी वर्ष 2010 में जारी खनन नीति में कहा था कि अवैध उत्खनन का पता लगाने के लिये हाई रिजोल्युशन सेटेलाईट डाटा का प्रयोग किया जायेगा। इधर सबसे पहले पहल कर केंद्र सरकार ने मुख्य खनिजों का अवैध उत्खनन ज्ञात करने के लिये अक्टूबर 2016 में माईनिंग सर्विलांस सिस्टम लांच कर दिया और राज्य सरकारों से कहा कि गौण खनिजों के अवैध उत्खनन जानने के लिये वह स्वयं यह सिस्टम लांच करे। लेकिन चार साल में भी राज्य सरकार यह सिस्टम लांच नहीं कर पाई है। हालांकि इस सिस्टम को बनाने का काम किया जा रहा है लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। जबकि कैग (भारत के महालेखापरीक्षक) की जांच में पाया गया है कि वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक गौण खनिज के अवैध उत्खनन के 1005 प्रकरण आये जिनमें 8 करोड़ 30 लाख रुपयों का जुर्माना लगाया गया। यह गौण खनिजों के अवैध उत्खनन के प्रकरणों में बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। कैग ने कहा है कि गौण खनिजों के लिये राज्य सरकार को माईनिंग सर्विलांस सिस्टम दिसम्बर 2016 से लागू करना था परन्तु वह ऐसा नहीं कर पाई। प्रदेश में गौण खनिजों के अंतर्गत रेत, बजरी, मुरम, पत्थर-चट्टानें, संगमरमर आदि आते हैं। रेत का सर्वाधिक अवैध उत्खनन प्रदेश में होता है और इससे सियासी राजनीति भी हमेशा गर्म रहती है।
ऐसा होता है सिस्टम :
माईनिंग सर्विलांस सिस्टम एक तरह का पोर्टल होता है जो सेटेलाईट से जुड़ा होता है। इसमें स्वीकृत गौण खनिजों की खदानों के नक्शे केएमएल फाईल यानि
कीहोल मार्कअप लैंग्वेज फाईल के रुप में दर्ज किये जाते हैं। इन फाईलों को गूगल अर्थ से लिंक कर दिया जाता है। यदि ठेकेदार स्वीकृत खदान क्षेत्र की सीमा से बाहर जाकर खनन करता है, तो यह इस सिस्टम से तुरन्त पकड़ में आ जाता है क्योंकि सेटेलाईल इसकी सूचना दे देता है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि गौण खनिजों के अवैध उत्खनन को उपग्रह की मदद से पकडऩे के लिये माईनिंग सर्विलांस सिस्टम बनाया जा रहा है। अभी तक पचास प्रतिशत जिलों ने ही अपनी स्वीकृत खदानों का डिजिटल रिकार्ड दिया है। शेष पचास प्रतिशत जिलों का रिकार्ड आने पर सारा रिकार्ड सिस्टम में डाला जायेगा तथा फिर उपग्रह की मदद से अवैध उत्खनन ज्ञात हो सकेगा और कार्यवाही हो सकेगी।



- डॉ. नवीन जोशी

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