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जबलपुर में ‘सोने की खान’ के दावे पर GSI की सफाई: अभी शुरुआती संकेत, खदान घोषित करना जल्दबाजी

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 240

7 अगस्त 2025। सोशल मीडिया पर जबलपुर में 3.3 लाख टन सोना मिलने के दावे के साथ वायरल हो रहे वीडियो ने लोगों में हलचल मचा दी है। हालांकि, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के महानिदेशक असित साहा ने स्पष्ट किया है कि यह दावा फिलहाल अत्यंत शुरुआती चरण में है और इसे सोने की खदान घोषित करना जल्दबाजी होगी।

साहा के अनुसार, यह अध्ययन जबलपुर ज़िले की सिहोरा तहसील में स्थित बेला और बिनाइका गाँवों के आसपास किया गया था। प्रारंभिक परीक्षणों में सोने के कण और धातुओं की उपस्थिति के संकेत मिले हैं, जो उत्साहजनक जरूर हैं लेकिन निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं।

उन्होंने बताया कि जमीन के नीचे कितनी मात्रा में सोना है, इसकी सटीक जानकारी के लिए गहन अन्वेषण और वैज्ञानिक परीक्षण अभी बाकी हैं। साहा ने यह जानकारी जबलपुर में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान दी, जिसका विषय था: "महत्वपूर्ण खनिज – अन्वेषण और दोहन"। इस कार्यक्रम में देशभर से वरिष्ठ भूवैज्ञानिक शामिल हुए थे।

वायरल वीडियो से बढ़ा उत्साह
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भारी मशीनों से खुदाई के दृश्य और स्थानीय लोगों की ‘खजाने’ को लेकर चर्चाएं देखी जा सकती हैं। कुछ रिपोर्टों में यह दावा भी किया गया कि जबलपुर में लाखों टन सोना मिला है। हालाँकि GSI ने इसे अभी "गैर-आधिकारिक" और "भ्रामक" बताया है।

GSI की मध्य प्रदेश में 40 परियोजनाएं
असित साहा ने बताया कि वर्तमान में GSI की मध्य प्रदेश में 40 खनिज अन्वेषण परियोजनाएं सक्रिय हैं, जिनमें सिहोरा क्षेत्र भी शामिल है। जबलपुर में यह कार्य उसी व्यापक योजना का हिस्सा है।

जबलपुर: खनिज संपदा से भरपूर अतीत
एक समय जबलपुर अपने चूना पत्थर की खदानों और रक्षा उत्पादन इकाइयों के लिए जाना जाता था। यह शहर मध्य प्रदेश के खनिज मानचित्र पर अहम स्थान रखता है। अब यदि सोने की संभावनाएं वैज्ञानिक परीक्षणों में पुष्टि पाती हैं, तो यह क्षेत्र दोबारा राष्ट्रीय चर्चा में आ सकता है।

GSI के मुताबिक जबलपुर में सोने की संभावनाएं जरूर हैं, लेकिन इस क्षेत्र को 'सोने की खान' घोषित करना अभी वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है। अगले चरणों में परीक्षण और विश्लेषण के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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