डॉ. नवीन जोशी
19 अप्रैल 2022। राजधानी भोपाल से करीब 54 किलोमीटर दूर देलावाड़ी में रातापानी अभ्यारण्य के अंदर स्थित प्राचीन गिन्नौरगढ़ किले का रेस्टोरेशन यानि मरम्मत होगी। इसके लिये वन विभाग के वन्य प्राणी विंग ने शर्तों के साथ अनुमति प्रदान कर दी है।
उल्लेखनीय है कि किला साढ़े तीन सौ साल पहले गौंडवंश की शासक रानी कमलापति के लिये बनाया गया था। यहां पास में दो सुंदर तालाब भी बने हुये हैं। आम पर्यटकों के लिये यह खुला हुआ है तथा वन विभाग निर्धारित शुल्क लेकर इसमें आने की अनुमति देता है। वर्तमान में यह किला बहुत ही जीर्णशीर्ण हो गया है। राज्य के पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षति करने के लिये मांगा था परन्तु वन विभाग ने इससे इंकार कर दिया था। अब इसके रेस्टोरेशन के लिये दूसरा उपाय किया गया है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मदन मोहन उपाध्याय के समन्वय में बने इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चर हेरीटेज भोपाल चेप्टर (इनटेक) ने उक्त किले के रेस्टोरेशन का प्रस्ताव दिया है जिस पर वन विभाग के अंतर्गत कायरत ईको पर्यटन बोर्ड ने कार्यवाही प्रारंभ की है। कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने इस शर्त के साथ उक्त किले के रेस्टोरेशन की अनुमति प्रदान कर दी है कि मूल ढांचे में न ही कोई बदलाव किया जायेगा और न ही इसे क्षति पहुंचाई जायेगी। साथ ही ऐसे किसी रसयान का उपयोग नहीं किया जायेगा जिससे अभ्यारण्य के जीवों को उनसे नुकसान पहुंचे।
गोरखपुर वॉल को भी है मरम्मत की दरकार :
इधर रायसेन के उदयपुरा तहसील में ग्राम गोरखपुर के पास स्थित प्राचाीन गोरखपुर वॉल को भी मरम्मत की दरकार है। यह वॉल 12 किमी लम्बी, 11 फीट ऊंची तथा 7 फीट चौड़ी है तथा वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इसका भी राज्य के पुरातत्व विभाग ने सर्वे किया है लेकिन वन विभाग इसके संरक्षण के लिये इसे पुरातत्व विभाग को नहीं देना चाहता है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि हमने गिन्नौरगढ़ किले के रेस्टोरेशन के लिये शर्तों के साथ अनुमति दे दी है। इस किले तक मेन रोड से अंदर जंगल में जाने के लिये सडक़ भी बनाई जाना है।
रातापनी अभ्यारण्य के अंदर बने गिन्नौरगढ़ किले की मरम्मत होगी
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Bhopal 👤By: DD Views: 3144
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