डोनाल्ड ट्रम्प ने 2024 में एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है। यह उनकी राजनीतिक क्षमता और अमेरिकी जनता के समर्थन का प्रतीक है। ट्रम्प की यह जीत न केवल अमेरिका के घरेलू नीति को प्रभावित करेगी, बल्कि भारत सहित कई देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। आइए इस लेख में समझें कि ट्रम्प की जीत का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और किन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग या चुनौती बढ़ सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत पर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए गए अपने संदेश में मोदी ने ट्रंप को "मित्र" कहकर संबोधित किया और उनकी पिछली उपलब्धियों की सराहना करते हुए दोनों देशों के बीच की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की बात कही। मोदी ने लिखा, "आपके साथ मिलकर अपने लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति, स्थिरता, और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करने की उम्मीद है।"
मोदी के इस संदेश को भारत-अमेरिका के रिश्तों की गहराई का प्रतीक माना जा रहा है। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा देने की उम्मीद बढ़ी है, जिसमें व्यापार, सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी प्रयास जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर सहयोग की बातें पहले भी होती रही हैं। ट्रंप के नए कार्यकाल के साथ इस साझेदारी को और अधिक मजबूत करने का संकल्प भारत की विदेश नीति में अमेरिका के महत्व को दर्शाता है।
1. भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंध
डोनाल्ड ट्रम्प का आर्थिक दृष्टिकोण हमेशा से ही 'अमेरिका फर्स्ट' पर आधारित रहा है। उनके राष्ट्रपति काल में पहले भी उन्होंने अमेरिकी उद्योगों और व्यवसायों को प्रोत्साहन देने के लिए कई अहम फैसले लिए थे, जिनमें कुछ फैसले भारत के लिए चिंता का कारण बने थे। उदाहरण के लिए, उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ और अन्य व्यापारिक नीतियों ने भारतीय निर्यात को प्रभावित किया था। ट्रम्प की वापसी के बाद ऐसी संभावनाएं हैं कि वे एक बार फिर से अमेरिकी कंपनियों और उत्पादों के लिए घरेलू बाजार को प्राथमिकता देंगे, जिससे भारतीय निर्यात पर कुछ दबाव आ सकता है। हालांकि, भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत चल रही है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है।
2. रक्षा और सुरक्षा सहयोग
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में गहरा सहयोग विकसित हुआ है। ट्रम्प के कार्यकाल में भी दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौते हुए थे, जैसे COMCASA और BECA, जिन्होंने दोनों देशों की सेनाओं को सामरिक दृष्टि से निकट लाया। ट्रम्प के सत्ता में लौटने से इस सहयोग को और मजबूती मिल सकती है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए। भारत-अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हो सकता है, और ट्रम्प के 'इंडो-पैसिफिक' क्षेत्र में स्थिरता पर जोर देने से भारत को इसका लाभ मिल सकता है।
3. तकनीकी और साइबर सुरक्षा में सहयोग
भारत और अमेरिका तकनीकी क्षेत्र में काफी उन्नति कर चुके हैं, और दोनों देश एक-दूसरे के साथ डेटा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रम्प के कार्यकाल में भारत के आईटी सेक्टर के साथ संबंधों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण था, लेकिन उनकी नीतियाँ प्रवासी श्रमिकों के लिए सख्त रही थीं। ट्रम्प की वापसी के बाद एच-1बी वीजा और अन्य प्रवासी वीजा पर फिर से नीतिगत सख्ती आ सकती है, जो भारतीय पेशेवरों को प्रभावित कर सकती है। इसके बावजूद, साइबर सुरक्षा और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बने रहने की संभावना है, जिससे भारत को लाभ होगा।
4. चीन पर रुख और भारत को समर्थन
ट्रम्प का राष्ट्रपति पद पर आना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में देखा जा सकता है। ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में चीन के प्रति उनका कड़ा रुख देखा गया था, और उनकी वापसी के बाद भी इस नीति में बदलाव की संभावना नहीं है। अमेरिका के साथ चीन पर दबाव बनाने में भारत को फायदा मिल सकता है, विशेषकर उन मुद्दों पर जिनमें भारत और चीन के बीच तनाव होता है, जैसे सीमा विवाद। चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव को देखते हुए अमेरिका और भारत के बीच सहयोग की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।
5. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण नीति में बदलाव
डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल में, उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था। उनकी पर्यावरण नीति मुख्यतः अमेरिका की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और तेल-कोयले के उपयोग पर केंद्रित रही थी। ऐसे में यदि ट्रम्प फिर से उसी दिशा में नीतियाँ अपनाते हैं, तो भारत-अमेरिका के बीच जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सहमति में कमी आ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हरित ऊर्जा और पर्यावरण नीति को अमेरिकी सहयोग से मजबूती मिल सकती है, लेकिन ट्रम्प की पर्यावरण नीति भारत के लिए एक चुनौती बन सकती है।
6. भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर प्रभाव
ट्रम्प के सत्ता में लौटने से भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर भी प्रभाव पड़ेगा। उनका पहले भी भारतीय समुदाय के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रहा है, लेकिन उनकी सख्त आव्रजन नीतियाँ भारतीय-अमेरिकी पेशेवरों और छात्रों के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं। एच-1बी वीजा और अन्य प्रवासी वीजा में संभावित कटौती से भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए अवसरों में कमी आ सकती है। इसके बावजूद, भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने ट्रम्प का समर्थन किया है, और वे ट्रम्प प्रशासन के साथ मजबूत संबंध बनाए रख सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जीत भारत-अमेरिका संबंधों को नए आयाम दे सकती है। उनकी नीतियाँ और विचारधारा का सीधा प्रभाव भारत के व्यापारिक, रक्षा, तकनीकी, और प्रवासी क्षेत्रों पर पड़ेगा। चीन की बढ़ती चुनौती के बीच, अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का मजबूत होना एक रणनीतिक लाभ हो सकता है। ट्रम्प की जीत से भारत को कुछ क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव मिल सकता है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और दोनों देश एक-दूसरे के साथ किस तरह की नीति अपनाते हैं।
- दीपक शर्मा














