मध्यप्रदेश भाजपा में संगठन, सत्ता और संघ के बीच नई रेखा खिंच गई है
24 अक्टूबर 2025। मध्यप्रदेश भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी सिर्फ नामों की सूची नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक संकेत है — कि पार्टी अब पुराने ढर्रे से आगे बढ़कर संतुलन, ऊर्जा और अनुशासन के नए मेल की ओर बढ़ रही है।
प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने सत्ता, संगठन और संघ के समीकरणों को बारीकी से साधते हुए यह दिखाया है कि भाजपा में अब “संतुलन ही रणनीति” है। उन्होंने न किसी गुट को पूरी तरह उपेक्षित किया, न किसी को ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ाया। यही राजनीतिक सूझ उनकी पहचान बन रही है।
संघ की ध्वनि और मोहन की लय
कार्यकारिणी के ढांचे में संघ की मौजूदगी साफ दिखती है। संघ से जुड़े कई चेहरों को प्रमुख पद दिए गए हैं, जिससे यह संदेश गया कि संगठन और संघ का रिश्ता पहले जितना मजबूत था, उतना ही आज भी है।
साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का प्रभाव भी उतना ही साफ झलकता है। इस बार कार्यकारिणी में मालवा क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ा है — जो अब तक ग्वालियर-चंबल का गढ़ माना जाता था। मालवा से गौरव रणदिवे और डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी को महामंत्री बनाना इसी समीकरण का हिस्सा है।
युवा और डिजिटल सोच को जगह
25 सदस्यीय टीम में चार महामंत्री और नौ प्रदेश मंत्री हैं। चारों महामंत्री अपेक्षाकृत युवा हैं — यह बदलाव बताता है कि भाजपा अब अनुभव के साथ युवाओं की सक्रियता और डिजिटल दक्षता को भी बराबर महत्व दे रही है।
खंडेलवाल ने एक ऐसा ट्रांजिशन मॉडल तैयार किया है जिसमें वरिष्ठों को सम्मान मिला है और युवाओं को निर्णायक भूमिका।
असंतोष की परछाई और जातीय बहस
हालांकि, सबकुछ सुचारू नहीं रहा। वरिष्ठ नेता शैलेंद्र शर्मा को स्थान न मिलने से नाराज़गी उभरी, जो उन्होंने सोशल मीडिया पर काव्यात्मक अंदाज़ में जताई।
इसी तरह, राहुल कोठारी के नाम के आगे ‘जैन’ लिखे जाने को लेकर भी सवाल उठे हैं, क्योंकि भाजपा आमतौर पर जातीय पहचान को सार्वजनिक नहीं करती।
संक्रमण का दौर और नई ध्वनि
यह कार्यकारिणी भाजपा के संक्रमण काल का दस्तावेज़ है। इसमें संघ का अनुशासन, मोहन यादव की प्रशासनिक लय और हेमंत खंडेलवाल की महाजनी संतुलन-नीति — तीनों साथ दिखाई देते हैं।
भाजपा अब उस दिशा में बढ़ रही है जहाँ परंपरा और परिवर्तन का संगम ही संगठन की नई ताकत बनेगा।














