
19 अगस्त 2025। वॉशिंगटन में हालिया शिखर बैठक ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन संकट केवल हथियारों और मैदान की लड़ाई नहीं है, बल्कि कूटनीति और रणनीति की भी जंग है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की और यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक बेशक बिना किसी बड़ी घोषणा के समाप्त हुई, लेकिन इसके भीतर छुपे संदेश कहीं अधिक गहरे हैं।
◼️ ट्रंप की बदलती प्राथमिकताएँ
बैठक के बाद ट्रंप ने कीव और ब्रसेल्स की मांगों को खुलकर समर्थन नहीं दिया। यह केवल एक संकेत नहीं, बल्कि एक बदलाव है: अमेरिका शायद अब इस युद्ध को केवल यूरोप का संकट मानकर दूरी बनाना चाहता है। ट्रंप का “सीधी शांति वार्ता” पर ज़ोर दरअसल मास्को की प्राथमिकताओं से मेल खाता है, और यही बात यूरोप और कीव की सबसे बड़ी चिंता हो सकती है।
◼️ यूरोप और कीव की कमज़ोर होती पकड़
यूक्रेन और यूरोपीय संघ प्रतिबंधों को और मज़बूत करने तथा हथियारों की आपूर्ति जारी रखने की अपेक्षा के साथ आए थे। परंतु ज़मीनी सच्चाई यह है कि युद्धक्षेत्र में रूस धीरे-धीरे बढ़त बना रहा है। ऐसे में ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं की मांगें ट्रंप को भी अव्यावहारिक और हताशापूर्ण लगी होंगी।
◼️ सुरक्षा गारंटी का पेच
असली विवाद यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी को लेकर है।
मास्को की शर्त: यूक्रेन की तटस्थता और विसैन्यीकरण।
कीव और यूरोप का संकल्प: मज़बूत सेना और नाटो का संभावित समर्थन।
यह टकराव ऐसा है जिसमें यूरोप के पास केवल मांगें हैं, पर जमीन पर बढ़त रूस के पास।
◼️ पुतिन की ओर झुकाव का संदेश
बैठक के बाद ट्रंप ने पुतिन से सीधा संवाद किया। यह सिर्फ एक डिप्लोमैटिक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि अमेरिका अब यूरोपीय शोरगुल से ज़्यादा मास्को की दिशा में झुक रहा है। अगर आने वाले हफ्तों में ज़ेलेंस्की और पुतिन की सीधी वार्ता होती है, तो यह ट्रंप की नई कूटनीतिक लाइन का बड़ा नतीजा होगा।
◼️ एक चेतावनी यूरोप के लिए
वॉशिंगटन बैठक इस सवाल को खुला छोड़ गई है कि अमेरिका कितने समय तक यूक्रेन का समर्थन करता रहेगा। यूरोपीय संघ बार-बार अपनी बात दोहरा रहा है, लेकिन उसका प्रभाव कम होता जा रहा है। अगर जल्द ही कोई ठोस रणनीति नहीं बनी, तो यूरोप की सुरक्षा संरचना शायद क्रेमलिन की शर्तों से तय होगी।
यही समय है जब यूरोप को आत्ममंथन करना चाहिए: क्या वह केवल ट्रंप की इच्छाओं पर निर्भर रहकर इस संघर्ष का समाधान पाना चाहता है, या फिर अपनी स्वतंत्र और मज़बूत रणनीति के साथ मैदान में टिके रह सकता है?