
6 मई 2025। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा है कि 1947 से पहले न पाकिस्तान था, न ही 1971 से पहले बांग्लादेश—हम सब हिन्दुस्तानी थे। "हमें ईश्वर ने जो पहचान दी थी, उसमें नफरत, हिंसा और कुटिलता के लिए कोई स्थान नहीं था। आज आवश्यकता है कि हम अखंड भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रार्थना करें," उन्होंने कहा।
राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में नीति आयोग द्वारा आयोजित "संवाद श्रृंखला 2025" के कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. इंद्रेश ने शिक्षा, समाज और मूल्यों पर गहन विचार रखे। उन्होंने कहा कि बिना संस्कारों वाली शिक्षा अपराध को जन्म देती है और सेवा-भावना के बिना कमाई भ्रष्टाचार को जन्म देती है।
🔸 "राम और रावण दोनों वेदज्ञ थे, पर चरित्र ने उनका भाग्य तय किया"
उन्होंने राम और रावण के उदाहरण से बताया कि शिक्षा और शक्ति के बावजूद अगर चरित्र और विवेक नहीं हो, तो सत्ता विनाशकारी बन जाती है। "राम की सत्ता आज विकसित भारत का मॉडल है जबकि रावण की सत्ता समाप्त हो गई।"
डॉ. इंद्रेश ने आतंकवाद, धर्मांतरण और दंगों को ‘विकार’ बताते हुए कहा कि भारत को विकारमुक्त बनाना ही असली राष्ट्र निर्माण है। “दंगा मुक्त हिन्दुस्तान हमारा लक्ष्य होना चाहिए, जहां संवाद कटुता में न बदले और समाज में सौहार्द बना रहे।”
🔸 सीएम मोहन यादव बोले: पहले यह भी नहीं पता था कि हम पढ़ा क्या रहे हैं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से पहले तक स्थिति यह थी कि हमें खुद नहीं मालूम था कि हम क्या पढ़ा रहे हैं—सिर्फ सिलेबस के आधार पर पढ़ाया जा रहा था।"
सीएम ने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा के साथ दुकानदारी भी की, ताकि आत्मनिर्भरता बनी रहे। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने नौकरी के लिए पढ़ाई का ढकोसला खड़ा किया, जबकि भारत की देसी शिक्षा व्यवस्था जीवन मूल्य और आत्मनिर्भरता पर आधारित रही है।
🔸 मूल्य आधारित शिक्षा ही असली शिक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल एजुकेशन और अस्पताल पहले अलग-अलग थे, हमने उन्हें एकीकृत किया क्योंकि कार्य एक ही है—सेवा। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद और आयुष विभाग ने जनविश्वास को मजबूती दी।
🔸 नवभारत की ओर एक नई सोच
कार्यक्रम के अंत में डॉ. इंद्रेश ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए—"खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे। जितने सत्कर्म होंगे, उतना ही यश मिलेगा।" उन्होंने सभी अधिकारियों को नवप्रदेश निर्माण के संकल्प के लिए बधाई दी।