
1 जुलाई 2025। मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सत्ता और संगठन के समन्वय का आदर्श प्रस्तुत करने की दिशा में अग्रसर है। पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक, यह विश्वास प्रबल हो चला है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की जोड़ी आने वाले समय में मध्यप्रदेश की राजनीति को नई दिशा देगी।
👍🏻 दिल्ली तक गूंजती है एमपी भाजपा की संगठन क्षमता
देशभर में भाजपा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश भाजपा ने अक्सर खुद को एक मॉडल यूनिट के रूप में स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कई मौकों पर मंच से मध्यप्रदेश संगठन की सराहना कर चुके हैं — चाहे वह चुनावी रणनीति हो, बूथ स्तर पर कार्यप्रणाली, या फिर सरकार-संगठन के बीच तालमेल।
🔥 मोहन–हेमंत: नेतृत्व की नई ऊर्जा
डॉ. मोहन यादव, जिनके नेतृत्व में बीते डेढ़ वर्षों में मध्यप्रदेश ने अनेक विकास प्रतिमान गढ़े हैं, उनके साथ अब हेमंत खंडेलवाल संगठन की कमान संभालते नजर आएंगे। दोनों ही संघ पृष्ठभूमि से आते हैं, जमीनी अनुभव रखते हैं और सादगी व समर्पण की प्रतिमूर्ति हैं।
जहां मोहन यादव ने तीन बार विधायक, उच्च शिक्षा मंत्री, और अब मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं, वहीं हेमंत खंडेलवाल पूर्व सांसद, पार्टी कोषाध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, और अब दूसरी बार विधायक के रूप में संगठन की गहराई तक अपनी पहचान बना चुके हैं।
🤝 सामंजस्य की मिसाल बन सकती है यह जोड़ी
सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य किसी भी राज्य की स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक होता है। इस लिहाज़ से मोहन–हेमंत की जोड़ी भविष्य की राजनीति का आदर्श फॉर्मूला बन सकती है। दोनों नेताओं की कार्यशैली में पारदर्शिता, संवाद और समर्पण की स्पष्ट झलक मिलती है।
इनकी सबसे बड़ी ताकत है — लो-प्रोफाइल व्यक्तित्व, लेकिन हाई-इंपैक्ट कार्यशैली।
💪🏻 राज्य के विकास और संगठन की मजबूती का डबल इंजन
केंद्रीय नेतृत्व ने इस जोड़ी पर भरोसा जताते हुए साफ संकेत दिया है कि मध्यप्रदेश को अगले चरण में ले जाने के लिए विकास और संगठन की गति दोनों ही तेज़ की जाएंगी। एक ओर जहां डॉ. मोहन यादव योजनाओं के ज़रिए जनहित में कार्य कर रहे हैं, वहीं हेमंत खंडेलवाल संगठनात्मक जड़ों को और मजबूत करेंगे।