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'हर स्कूल के बस्ते में होनी चाहिए गीता..,' सीएम डॉ. यादव ने बताया कैसे लाइफ बैलेंस करना सिखाता है हमारा ग्रंथ

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 97

उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सीएम डॉ. मोहन ने की सहभागिता
गीता जैसा प्रैक्टिकल ज्ञान कोई नहीं दे सकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा नीति में किया अद्भुत बदलाव

1 दिसंबर 2025। 'भक्ति योग-ज्ञान योग-कर्म योग, इन सबका सार गीता में मिलता है। हर स्कूल के बस्ते में-हर बच्चे के साथ गीता होनी चाहिए। लाइफ बैलेंस करने के लिए गीता की शिक्षा महत्वपूर्ण है। जितना प्रैक्टिकल ज्ञान गीता देती है, उतना कोई नहीं देता। गीता बताती है कि हमारे कर्म हमारे साथ होते हैं। गीता हमें अपने कर्मों और आत्मा के बीच समन्वय स्थापित करने का रास्ता दिखाती है।' यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 दिसंबर को उज्जैन में कही। सीएम डॉ. यादव दशहरा मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सहभागिता कर रहे थे। इस कार्यक्रम में साधु-संतों के साथ-साथ बच्चे और बूढ़े भी शामिल थे। सभी ने एक साथ गीता पाठ भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज प्रदेश को गीता भवन की सौगात भी मिलेगी।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गीता हमारा पवित्र ग्रंथ है। इसमें सबकुछ है। इससे बड़ा कोई ग्रंथ नहीं। मध्यप्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मना रही है, इसके लिए सभी को शुभकामनाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साल 2020 में शिक्षा नीति का संशोधन किया गया। इस संशोधन के बाद हमें गर्व है कि हमने गीता को पाठ्यक्रम में महत्ता दी है। हमारी सरकार ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को भी महत्ता दी है। उन्होंने कहा कि हमें उनके आदर्शों से सीखने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हमें धर्म के माध्यम से जीवन के मर्म को समझने का मौका मिलता है। हम किसी की बुराई नहीं कर रहे, किसी के प्रति हमारा गलत भाव नहीं है, लेकिन सच्चाई का पता लगाने का तो भाव होना चाहिए।

एकता-प्रेम की प्रेरणा
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि 5 हजार साल पहले कंस को मारने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए उज्जैयनी की तरफ कदम बढ़ाए। वे उस सांदीपनि आश्रम आए, जहां अमीर-गरीब सबके लिए दरवाजे खुले थे। सबको समान रूप से शिक्षा मिलती थी। इस आश्रम में एक ओर भगवान कृष्ण-शिक्षा पा रहे थे, तो दूसरी ओर सुदामा भी पढ़ाई कर रहे थे। इस तरह भगवान कृष्ण ने हमें एकता और प्रेम की प्रेरणा दी। भगवान कृष्ण के माता-पिता ने कई प्रकार के कष्ट सहे, उसी तरह भगवान ने भी संकट झेले। लेकिन, इन कष्टों में भी उन्होंने संघर्ष किया और हर जगह विजय पताका फहराई। कष्टों में मुस्कुराना और कालिया नाग के ऊपर नृत्य भगवान श्री कृष्ण ही कर सकते हैं।

कुर्सी के बजाए शिक्षा को महत्व
प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव ने कहा कि कंस को मारने के बाद कुर्सी के बजाए शिक्षा को महत्व देना, यह हमारे विद्यार्थियों के साथ-साथ सबके लिए सबक है। सांदीपनि आश्रम ने भगवान श्री कृष्ण को सिखाया कि चुनौतियों के बीच मुस्कुराना कैसे है, कर्तव्य के पथ से कर्म की तरफ कैसे जाते हैं। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी होगी। इंसान को सदैव धर्म मार्ग पर चलना चाहिए। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के माध्यम से दुनिया ने भारत का पराक्रम देखा है। दुनिया ने देखा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, अर्धम बढ़ता है, तब-तब हमारे यहां परमेश्वर स्वयं आते हैं। वे आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे, सत्कर्मों की स्थापना करेंगे, मानवता की स्थापना करेंगे। और, हमारे मूल वेद वाक्य वसुधैव कुटुंबकम के आधार पर सृष्टि का संचालन करेंगे। भगवान ने द्वारिका से आगे बढ़कर अपना समय पहचान लिया। उन्होंने अपने शिष्य या पुत्र को द्वारिका की गद्दी नहीं दी। भगवान जनतंत्र के नायक हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की सेना कौरवों की तरफ से लड़ी और उनके बड़े-बड़े सेना नायक मारे गए। इस घटनाक्रम से भगवान ने कर्मवाद का उपदेश दिया।

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