संविदा श्रमिकों को रखने वाले ठेकेदार को अब ठेका अवधि तक लायसेंस मिल सकेगा
9 मई 2020। प्रदेश में ऐसे ठेकेदार जो श्रमिकों को संविदा पर रखते हैं, को अब ठेका अवधि तक लायसेंस मिल सकेगा। इससे पहले उन्हें श्रम विभाग से हर साल लायसेंस लेना होता था। इस संबंध में राज्य सरकार ने संविदा श्रमिक विनियमन तथा समाप्ति मप्र नियम 1973 में नया संशोधन प्रभावशील कर दिया।
ये किये गये नये प्रावधान :
अब बीस से अधिक संविदा श्रमिक रखने वाले ठेकेदारों को तीन प्रतियों में लायसेंस के लिये आवेदन नहीं करना होगा बल्कि श्रम विभाग के आधिकारिक वेब पोर्टल पर जाकर निर्धारित प्रारुप ऑनलाईन भरना होगा। इसी प्रकार, अब ठेकेदार को फीस एक कैलेण्डर वर्ष के हिसाब से भरना होगी। यह फीस श्रमिकों की संख्या के हिसाब से 60 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। इसके अलावा, अब ठेकेदार को लायसेंस उस अवधि के लिये मिल सकेगा जितनी अवधि के लिये वह आवेदन में उल्लेख करेगा। इसका आशय यह है कि ठेका एक से लेकर चखर साल तक का होता है तथा ठेकेदार को अब चार साल तक का लायसेंस एक बार में ही मिल जायेगा तथा उसे हर साल लायसेंस का नवीनीकरण नहीं कराना होगा। फीस भी उसे चार कैलेण्डर वर्ष के हिसाब से भरना होगी। ज्ञातव्य है कि ठेकेदार को प्रत्येक संविदा श्रमिक के लिये 200 रुपये की राशि भी प्रतिभूति के रुप में अलग से जमा करना होती है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि संविदा पर श्रमिकों को रखने वाले ठेकेदारों को नई सहुलियत दी गई है तथा अब वे ऑनलाईन आवेदन कर ठेकेा अवधि तक लायसेंस ले सकेंगे। उन्हें हर साल अपने लायसेंस का नवीनीकेरण नहीं कराना होगा।
-डॉ. नवीन जोशी
संविदा श्रमिकों को रखने वाले ठेकेदार को अब ठेका अवधि तक लायसेंस मिल सकेगा
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 1068
Related News
Latest News
- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया 'विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड-2025 का औपचारिक शुभारंभ
- भारत के स्वाभिमान को जगाने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : स्वदेशी का संकल्प और राष्ट्र निर्माण के प्रेरक - डॉ. मोहन यादव
- हिंदी जनसंपर्क का सशक्त माध्यम - सुनील वर्मा
- इंदौर ट्रक हादसे पर सीएम डॉ. मोहन का कड़ा रुख, पुलिस उपायुक्त ट्रैफिक सहित कई लापरवाह अधिकारी-कर्मचारी पर गिरी गाज, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख की आर्थिक मदद
- सोशल मीडिया की वजह से अमेरिका 'यौन मंदी' की चपेट में - सर्वेक्षण