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मप्र में खुलेंगी नई कोयला खदानें

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 1043

Bhopal: भारत सरकार ने जारी किया इन्टेंशन टु प्रोस्पेक्ट
16 मई 2020। प्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले की परासिया तहसील में नई कोयला खदानें खुलेंगी। इसके लिये भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट यानि पूर्वेक्षण करने का आशय जारी कर दिया है।
कमलनाथ के प्रयासों से हुआ यह :
छिन्दवाड़ा जिले की परासिया में वेस्टर्न कोल फील्ड की 15 कोयला खदानें एमसीआर यानि मिनरल कन्सेशन रुल्स के तहत पहले से संचालित हैं। पिछले तीन-चार साल से ये घाटे में चलने के कारण बंद होती जा रही हैं। इससे क्षेत्र के लोगों को रोजगार से भी वंचित होना पड़ रहा है। पिछले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रयास कर यहां पुन: कोयला खदानें प्रारंभ करने की कवायद की जिस पर अब भारत सरकार ने सीबीए यानि कोल बियरिंग एरिया एक्ट के तहत नई खदानों के लिये लिये प्रारंभिक सहमति दे दी है।
अभी यह जारी हुआ इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट :
भारत सरकार ने अभी जो इन्टेंशन टु प्रास्पेक्ट जारी किया है उसके तहत छिन्दवाड़ा जिले की परासिया तहसील के पटवारी हल्का क्रमांक 7 में ग्राम बरकुही, पटवारी हल्का क्रमांक 8 में इकलहरा तथा पटवारी हल्का क्रमांक 8 में ही ग्राम भाजीपानी में कुल 183.608 हैक्टेयर में जमीन में कोयला ढूंढा जायेगा। इस कुल भूमि में 152.84 हैक्टेयर भूमि निजी तथा 30.768 हैक्टेयर सरकारी भूमि है। वेस्टर्न कोल्ड फील्ड को 90 दिनों के अंदर उक्त भूमि पर कोयले की उपलब्धता ढूंढ कर अपनी रिपोर्ट देनी है। इसके बाद भूमि के अर्जन की कार्यवाही प्रारंभ होगी।
वर्ष 2021 के अंत खदान प्रारंभ करने की योजना है :
उक्त पूर्वेक्षण वाली भूमि अलग से है तथा इनमें कोयला खदान वर्ष 2021 के अंत तक पुन: प्रारंभ करने की योजना है। इससे करीब चार सौ व्यक्तियों को रोजगार मिल सकेगा तथा आसपास अन्य इकोनामिक एक्टीविटीज भी प्रारंभ होने से बहुत से क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। पूर्वेक्षण में कोयला खदानें पाई जाने पर जब उक्त भूमियों का अर्जन किया जायेगा तब उस पर काबिज लोगों का पुनर्वास भी किया जायेगा।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि सीबीए के तहत कोयला खदानों के पूर्वक्षण में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। हमें सिर्फ रायल्टी मिलती है। एमसीआर में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जबकि सीबीए में बिना परेशानी के सीधे भूमि का अधिग्रहण हो जाता है।



- डॉ. नवीन जोशी

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