
19 अगस्त। मध्य प्रदेश में नवाचार और अनुसंधान सहयोग को नई दिशा देने के उद्देश्य से जर्मन कंपनियों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को इंदौर स्थित इन्फोबीन्स परिसर पहुँचा। यहाँ पाँच दिवसीय ‘मध्य प्रदेश–वैश्विक नवाचार एवं अनुसंधान एवं विकास विनिमय कार्यक्रम-2025’ की शुरुआत उत्साहपूर्ण माहौल में हुई।
पहले दिन जर्मन व्यापारिक प्रतिनिधियों ने राज्य में अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास से जुड़े अवसरों पर विस्तृत चर्चा की। यह आयोजन मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (MPIDC) और जर्मन-भारत नवाचार कॉरिडोर (GIIC) के बीच हुए समझौते का हिस्सा है। इस समझौते पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री मोहन यादव की बीते नवंबर की जर्मनी यात्रा के दौरान हुए थे।
निवेश और तकनीकी सहयोग पर विशेष फोकस
हाल ही में भोपाल में आयोजित वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन-2025 ने द्विपक्षीय सहयोग की दिशा में खास गति दी है। इसी कड़ी में, कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य को निवेश के आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करना, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना और तकनीकी साझेदारी को मजबूत करना है।
चर्चा सत्रों में “भारत से वैश्विक स्तर के डिजिटल उत्पाद निर्माण”, “भारतीय नवाचार परिदृश्य” और “तेजी से वृद्धि – भारतीय एवं जर्मन दृष्टिकोण” जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने नवाचार, शोध सहयोग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार साझेदारी की संभावनाओं पर अपने विचार रखे।
प्रतिभा और एआई पर गहरी रुचि
प्रतिनिधियों ने प्रतिभा अधिग्रहण, संस्कृति-आधारित मानव संसाधन प्रबंधन मॉडल और महिला सशक्तिकरण पहलों का अवलोकन भी किया।
ज़ोहो, फ्रेशवर्क्स और ब्राउज़रस्टैक जैसे भारतीय यूनिकॉर्न्स की सफलता का उल्लेख करते हुए, जर्मन टीम ने राज्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) विकास, संभावित आरएंडडी हब्स तथा युवाओं के लिए रोज़गार के अवसरों की संभावनाओं में गहरी दिलचस्पी दिखाई।