10 जून 2023। प्रदेश के न्यायालयों में अब किसी पीडि़त महिला के धारा 164 के बयान विशेष रुप से महिला न्यायिक दण्डाधिकारी के सामने ही होंगे। इसके लिये मप्र हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश नियम तथा आदेश आपराधिक में बदलाव कर दिया है। ज्ञातव्य है कि ऐसे बयान दुष्कर्म आदि घटनाओं पर होते हैं।
यह भी बदलाव किया गया है कि जहां पीडि़त महिला एफआईआर दर्ज किये जाने के चौबीस घण्टे से अधिक समय समाप्त होने के पश्चात न्यायिक दण्डाधिकारी के समक्ष पेश की जाती है, तो न्यायिक दण्डाधिकारी पुलिस के विवेचना अधिकारी से विलम्ब के कारणों को उल्लेखित करने वाले प्रतिवेदन की एक प्रति प्राप्त करेगा, जैसा कि केस डायरी में अभिलिखित है। साथ ही न्यायिक दण्डाधिकारी विवेचना अधिकारी से तत्काल पीडि़त महिला से संबंधित चिकित्सा विधिक प्रमाण-पत्र यानि मेडिकोलीगल सर्टिफिकेट की एक प्रति प्राप्त करेगा। इसके अलावा, बयान को सीलबंद किया जायेगा जिसे केस का विचारण करने वाले न्यायाल को भेजा जायेगा। न्यायिक दण्डाधिकारी बयान के साथ मिले दस्तावेजों की प्रति अपने पास नहीं रखेगा। बयान की एक प्रति विवेचना अधिकारी को इस लेख के साथ दी जायेगी कि वह इसे किसी के सामने प्रकट नहीं करेगा। आरोपी को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 207 या 208 के अधीन ऐसे बयान की प्रति प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- डॉ. नवीन जोशी
अब धारा 164 के बयान महिला जज के सामने ही होंगे
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 990
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