17 अगस्त 2023। स्थानीय निवासियों को उनकी आजीविका के लिये रेत आपूर्ति की व्यवस्थाओं हेतु राज्य सरकार ने सात माह पहले मुरैना वनमंडल में स्थित राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी का कुछ हिस्सा डिनोटिफाई किया, परन्तु इसके बाद इको सेंसेटिव जोन खत्म करने का प्रस्ताव बना, लेकिन इसके बावजूद वहां रेत खनन का रास्ता साफ नहीं हुआ है।
राज्य सरकार ने 31 जनवरी 2023 को चम्बल सेंचुरी में 207.049 हैक्टेयर क्षेत्र डिनोटिफाई किया है। इसके बाद मुरैना डीएफओ की आपत्ति आई कि सेंचुरी की सीमा से एक किमी बाहर का क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन है तथा इसमें रेत का खनन नहीं हो सकता है। इस पर तय हुआ कि इको सेंसेटिव जोन को खत्म किया जाये और राज्य के पर्यावरण विभाग के माध्यम से इसका प्रस्ताव केंद्र की स्वीकृति हेतु भेजा गया। परन्तु अब केंद्र ने कहा है कि पहले इको सेंसेटिव जोन की सीमा तो तय करें। दरअसल, चम्बल सेंचुरी से रेत खनन के लिये जो तीन अलग-अलग हिस्से डिनोटिफाई किये गये हैं, वे सेंचुरी की सीमा पर न होकर अंदर स्थित हैं। वन कानूनों के अनुसार, वन क्षेत्र में मार्ग बनाकर रेत का परिवहन नहीं किया जा सकता है। इसलिये अब, रेत खनन के बाद सेंचुरी के वन क्षेत्र में मार्ग बनाने की स्वीकृति केंद्र से लेना होगी। अन्यथा डिनोटिफाई हिस्सों में रेत का खनन तो हो जायेगा परन्तु उसे वहां से परिवहन कर नहीं ले जाया जा सकेगा।
- डॉ. नवीन जोशी
चम्बल सेंचुरी के डिनोटिफाई एरिया में रेत खनन का रास्ता साफ नहीं हुआ
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 715
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