
29 अगस्त 2023। मध्य प्रदेश में महुआ बहुतायत में होता है। एक मौसम में करीब 7 लाख 55 हजार क्विंटल तक महुआ मिल जाता है। पूरी तरह महुआ फूल से लदा एक पेड़ 100 किलो तक महुआ देता है। करीब 3 लाख 77 हजार परिवार महुआ बीनकर अपना घर-परिवार चलाते हैं। एक परिवार कम से कम तीन पेड़ों से महुआ बीनता है। साल में औसतन दो क्विंटल तक महुआ बीन लेता है। कुल महुआ संग्रहण का 50 प्रतिशत उमरिया, अलीराजपुर, सीधी, सिंगरौली, डिण्डौरी, मण्डला, शहडोल और बैतूल जिलों से होता है।
मध्य प्रदेश का महुआ यूरोप में एथनिक फूड के रूप में लोकप्रिय हो रहा है।
यूके की कंपनी ओ-फारेस्ट ने मध्य प्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है।
महुआ जनजातीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन महुआ बीनने वाले परिवारों को बिचौलियों के कारण कम दाम मिलते थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महुआ और अन्य वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित किया, जिससे महुआ बीनने वाले परिवारों को अच्छी कीमत मिल रही है।
महुआ से बने खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने से महुआ बीनने वाले परिवारों की आय में वृद्धि होगी।
राज्य सरकार ने महुआ फूल से बनी मदिरा को हेरिटेज वाइन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए नीति बनाई है।
मध्य प्रदेश सरकार ने महुआ और अन्य वनोपजों का समर्थन मूल्य घोषित किया है। इससे महुआ बीनने वाले परिवारों को बिचौलियों से मुक्ति मिली है। उन्हें बाजार में भी अच्छे दाम मिलने लगे हैं। महुआ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जाने से महुआ बीनने वाले जनजातीय परिवारों को अच्छी कीमत मिलेगी। महुआ का समर्थन मूल्य 35 रूपये किलो है। यूरोप में महुआ की खपत होने से उन्हें 100 से 110 रूपये प्रति किलो का मूल्य मिलेगा।
यूके की कंपनी ओ-फारेस्ट ने मध्य प्रदेश से 200 टन महुआ खरीदने का समझौता किया है। कंपनी महुआ से चाय, पावडर, निब और स्नेक्स बना रही है। इन उत्पादों को यूरोप में अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
मध्य प्रदेश सरकार ने महुआ फूल से बनी मदिरा को हेरिटेज वाइन के रूप में प्रस्तुत करने के लिए नीति बनाई है। जनजातीय क्षेत्र के स्व-सहायता समूहों को ही इसे बनाने का लाइसेंस दिया जायेगा। हर स्व-सहायता समूह अपने उत्पाद का अलग नाम रख सकता है। जिले में एक से अधिक स्व-सहायता समूहों को भी लाइसेंस मिल सकता है। स्व-सहायता समूहों के सदस्यों में कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य होना चाहिए।
महुआ के लोकप्रिय होने से मध्य प्रदेश के महुआ बीनने वाले परिवारों को सीधा लाभ होगा। उनकी आय में वृद्धि होगी और वे महुआ पेड़ों को सहेजने के लिए प्रेरित होंगे।