×

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला: धर्म परिवर्तन के बिना हिंदू-मुस्लिम विवाह नहीं!

prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद
Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 882

भोपाल: 31 मई 2024। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मुस्लिम युवक और हिंदू युवती के बीच बिना धर्म परिवर्तन के विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती। यह फैसला जस्टिस गुरुपाल सिंह आहलूवालिया की एकल पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया।

याचिकाकर्ता युगल ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत बिना धर्म परिवर्तन के शादी करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी। उन्होंने तर्क दिया कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं, और धर्म उनके लिए कोई बाधा नहीं है।

हालांकि, अदालत ने याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत, एक मुस्लिम पुरुष केवल एक मुस्लिम महिला से ही विवाह कर सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि विशेष विवाह अधिनियम धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

भारतीय संविधान में विशेष विवाह अधिनियम
भारतीय कानून में एक प्रावधान विशेष विवाह अधिनियम का भी है। इसके तहत कोई भी युवक या युवती बिना धर्म परिवर्तन शादी कर सकते हैं। इसी कानून के तहत अनूपपुर के इस जोड़े ने शादी की इजाजत मांगी. लेकिन कलेक्टर अनूपपुर ने यह इजाजत नहीं दी। इन दोनों ने इस शादी के साथ ही पुलिस प्रोटेक्शन भी मांगा था। जब जिला प्रशासन से इन्हें मदद नहीं मिली तो दोनों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

यह फैसला उन अंतर-धार्मिक जोड़ों के लिए एक बड़ा झटका है जो बिना धर्म परिवर्तन के शादी करना चाहते हैं। यह उन लोगों के लिए भी चिंता का विषय है जो धर्मनिरपेक्षता और समानता में विश्वास करते हैं।

यह फैसला निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालता है: मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, एक मुस्लिम पुरुष केवल एक मुस्लिम महिला से ही विवाह कर सकता है।
विशेष विवाह अधिनियम धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
अंतर-धार्मिक जोड़ों के लिए बिना धर्म परिवर्तन के शादी करना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर उनमें से एक मुस्लिम हो।
यह फैसला कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा व्यापक रूप से चर्चा और आलोचना का विषय बन रहा है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह फैसला भेदभावपूर्ण है और इसे पलट दिया जाना चाहिए, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ का सम्मान करता है।

Related News

Global News