वन्यजीव संरक्षण में केन्द्र और राज्य सरकार का ऐतिहासिक योगदान

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1271

23 जनवरी 2025। भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। गणतंत्र दिवस परेड में इस बार मध्य प्रदेश की झांकी में कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीता की वापसी को प्रदर्शित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य सरकार की वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए इसे एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

चीता की वापसी: अंतरमहाद्वीपीय प्रयास
1950 के दशक में भारत से विलुप्त हुए चीतों को पुनः स्थापित करने के लिए अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण का यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों का पहला समूह कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर में लाया गया। इसमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की सतत निगरानी की।

इसके बाद 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा समूह भारत पहुंचा। "प्रोजेक्ट चीता" के तहत यह पहल भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई।


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चीतों के लिए आदर्श रहवास का चयन
चीतों को भारत में पुनः स्थापित करने से पहले उनके लिए आदर्श रहवास का चयन किया गया। विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों के परामर्श से मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान को सबसे उपयुक्त पाया गया। यह उद्यान 748 वर्ग किलोमीटर में फैला है और चीतों के लिए पर्याप्त शिकार के साथ मानवीय गतिविधियों से मुक्त है।

इतिहास से वर्तमान तक का सफर
1952 में भारत सरकार ने चीतों की विलुप्ति को गंभीरता से लिया। 1970 के दशक में ईरान से एशियाई चीतों को लाने का प्रयास असफल रहा। 2009 में भारत ने अफ्रीकी चीतों को पुनः स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, और 2020 में इस योजना को मंजूरी मिली।

चीतों का नाम संस्कृत शब्द "चीता" से लिया गया है, जिसका अर्थ "धब्बेदार" होता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों और निओलिथिक गुफाओं में चीतों के उल्लेख और चित्र मिलते हैं।

ग्रासलैंड संरक्षण और जैव-विविधता की पुनर्स्थापना
यह पहल केवल चीतों को पुनः स्थापित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रासलैंड पारिस्थितिकी और स्थानीय जैव-विविधता के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। आईयूसीएन के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार की गई इस परियोजना ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है।

मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह परियोजना मध्य प्रदेश को वन्यजीव संरक्षण का केंद्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है। उन्होंने कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान को राज्य का गौरव बताते हुए कहा कि यह पहल न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की पहचान को सशक्त करेगी।

वन्यजीव संरक्षण में नई शुरुआत
चीता की वापसी केवल वन्यजीव संरक्षण का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत के गौरव और पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह परियोजना संरक्षण प्रयासों के लिए एक प्रेरणा है और आने वाले समय में भारत को वन्यजीव संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेगी।

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