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लोकायुक्त ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ दर्ज की जांच

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 332

500 करोड़ रुपये के पोषण आहार घोटाले में दर्ज हुआ मामला

22 जून 2025 — मध्यप्रदेश लोकायुक्त संगठन ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। यह कार्रवाई पूर्व विधायक पारस सकलेचा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की गई है, जिसमें इन दोनों अधिकारियों पर 500 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।

यह मामला राज्य में वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच हुए टेक होम राशन (THR) घोटाले से जुड़ा है, जिसे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में उजागर किया गया था। सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि पोषण आहार से जुड़ी योजनाओं में लाभार्थियों की पहचान, उत्पादन, वितरण और गुणवत्ता में भारी अनियमितताएं पाई गईं।

लोकायुक्त संगठन ने महिला एवं बाल विकास विभाग, आजीविका मिशन और अन्य संबंधित विभागों से दस्तावेज और जानकारियां मांगने के बाद मामला औपचारिक रूप से जांच के लिए पंजीबद्ध किया।

आरोपों की प्रमुख बिंदु:
वर्ष 2017 में बैंस ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ललित मोहन बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाकर आजीविका मिशन का सीईओ नियुक्त किया।

इसके बाद पोषण आहार बनाने वाली सात फैक्ट्रियों का कार्य एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन से हटाकर आजीविका मिशन को सौंप दिया गया।

दिसंबर 2018 में सरकार बदलने पर फिर यह कार्य एग्रो इंडस्ट्रीज को वापस सौंपा गया, लेकिन 2020 में शिवराज सरकार के आने पर बैंस ने रिटायर्ड बेलवाल को फिर संविदा पर सीईओ बना दिया।

सकलेचा का कहना है कि यह सब पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था, जिसके चलते पोषण आहार में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ।

THR योजना के लाभार्थी:
टेक होम राशन योजना के अंतर्गत 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, और 11-14 वर्ष की स्कूल से बाहर किशोरियां आती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वितरण की प्रक्रिया में फर्जी लाभार्थियों के नाम जोड़े गए और राशन वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।

सीएजी की सिफारिश:
सीएजी ने इस घोटाले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।

विभागीय कार्रवाई की स्थिति:
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सीएजी को दी गई जानकारी के अनुसार:

73 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी
36 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच
11 अधिकारियों को दंडादेश
9 के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई
3 सेवानिवृत्त अधिकारियों के प्रकरण शासन को भेजे गए

यह मामला मध्यप्रदेश प्रशासनिक तंत्र में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और कदाचार को उजागर करता है। जांच की प्रगति पर अब राज्य भर की नजरें टिकी हैं।

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