
21 जुलाई 2025। चीन ने मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस (Brain-Computer Interface - BCI) तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए अमेरिका और एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक जैसी अग्रणी कंपनियों को चुनौती देनी शुरू कर दी है। हाल ही में बीजिंग के एक सरकारी अस्पताल में ALS (Amyotrophic Lateral Sclerosis) रोग से ग्रस्त एक 67 वर्षीय महिला की सोच को पढ़कर कंप्यूटर स्क्रीन पर चीनी भाषा में "मैं खाना चाहती हूं" प्रदर्शित किया गया – यह एक चौंकाने वाला उदाहरण है कि ब्रेन चिप किस तरह काम कर रही है।
इस प्रदर्शन के तहत Beinao-1 नामक सिक्के के आकार की वायरलेस चिप पांच मरीजों के मस्तिष्क में प्रत्यारोपित की गई है। यह तकनीक मस्तिष्क के संकेतों को डिकोड करके उन्हें टेक्स्ट, आवाज़ या मशीन मूवमेंट में बदल देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस तकनीक में अमेरिका की बराबरी करने के साथ-साथ कई क्षेत्रों में आगे भी निकल रहा है।
तेज़ी से बढ़ता चीन का मस्तिष्क विज्ञान नेटवर्क
चाइनीज़ इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन रिसर्च (CIBR) के वैज्ञानिक लुओ मिनमिन के नेतृत्व में यह शोध हो रहा है। उन्होंने बताया कि मरीजों में यह तकनीक आशा की नई किरण बनकर उभरी है। उनकी टीम अगले साल 50 से 100 और मरीजों पर परीक्षण करने की योजना बना रही है।
लुओ ने कहा, "अगर यह सुरक्षित और असरदार साबित होता है, तो इसका उपयोग दुनिया भर के मरीजों के लिए एक चिकित्सा क्रांति बन सकता है।"
2023 में CIBR ने ब्रेन टेक्नोलॉजी पर केंद्रित NeuCyber NeuroTech नामक स्टार्टअप की भी स्थापना की। इसने बीसीआई के अर्ध-आक्रामक वायरलेस इम्प्लांट के विश्व के पहले बैच का सफल परीक्षण किया है।
अमेरिका बनाम चीन: तकनीकी होड़
जहां अमेरिका में न्यूरालिंक और सिंक्रोन जैसी कंपनियां ब्रेन टेक्नोलॉजी में अग्रणी रही हैं, वहीं चीन की तेजी से हो रही प्रगति अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन रही है। अमेरिकी वैज्ञानिक मैक्सिमिलियन रिएनसेनहुबर ने स्वीकार किया कि चीन ने कई मामलों में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता दिखाई है।
ब्रेन टेक बाजार भी बेहद आकर्षक बन गया है – 2023 में यह $2.6 बिलियन डॉलर का था और 2034 तक इसके $12.4 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। लेकिन चीन और अमेरिका के लिए यह केवल आर्थिक अवसर नहीं, बल्कि वैश्विक वर्चस्व की लड़ाई का भी एक पहलू बन गया है।
शी जिनपिंग की वैज्ञानिक महाशक्ति बनने की योजना
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय रणनीति के केंद्र में रखने के पक्षधर रहे हैं। उनका मानना है कि तकनीकी क्षेत्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा का नया युद्धक्षेत्र बन चुका है।
2016 में चीन की पंचवर्षीय योजना में पहली बार ब्रेन टेक्नोलॉजी को राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल किया गया था। इसके बाद स्थानीय सरकारों और संस्थानों ने बीसीआई से जुड़ी कंपनियों को अनुसंधान से लेकर व्यावसायीकरण तक हर स्तर पर सहयोग देना शुरू किया।
तकनीकी दृष्टिकोण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
ब्रेन चिप की सटीकता और डिकोडिंग क्षमताओं को लेकर अमेरिका और चीन की तकनीकें अलग-अलग पथ अपना रही हैं। अमेरिका की कंपनियां मस्तिष्क की भीतरी परत (ड्यूरा मेटर) के भीतर चिप लगाने की तकनीक का प्रयोग कर रही हैं, जो अधिक जोखिम भरा लेकिन सटीक तरीका है। वहीं, चीन की तकनीक ड्यूरा के ऊपर से ही डेटा एकत्र करने में सक्षम हो रही है।
लुओ मानते हैं कि अभी दोनों देशों की तकनीकों को तुलना में नहीं रखा जा सकता। "यह सेब और संतरे की तुलना जैसा है – दोनों अलग दृष्टिकोण रखते हैं और मरीजों के लिए कौन बेहतर है, यह समय ही बताएगा," उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
चीन अब ब्रेन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में केवल अनुसरण करने वाला नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में बढ़ रहा है। अमेरिका के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि तकनीकी बढ़त को बनाए रखने के लिए उसे और तेज़ी से नवाचार करना होगा। आने वाले वर्षों में यह तकनीकी प्रतिस्पर्धा वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली और भू-राजनीति दोनों पर गहरा प्रभाव डालेगी।
प्रस्तुति: Prativad.com | भारत की आवाज़, डिजिटल युग में