
21 फरवरी 2025। एक जटिल समस्या, जिसे हल करने में माइक्रोबायोलॉजिस्ट को एक दशक का समय लग गया, उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नए टूल ने मात्र 48 घंटे में सुलझा दिया।
तेज़ी से आया समाधान
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोस आर. पेनाडेस और उनकी टीम ने वर्षों तक यह शोध किया कि कुछ सुपरबग्स एंटीबायोटिक दवाओं से प्रतिरक्षित क्यों होते हैं। उन्होंने गूगल द्वारा विकसित एआई टूल 'सह-वैज्ञानिक' को एक संकेत दिया और यह केवल दो दिनों में उसी निष्कर्ष पर पहुंच गया, जिस पर उनकी टीम ने वर्षों बाद पहुंचा था।
चौंकाने वाली सफलता
प्रो. पेनाडेस ने बताया कि यह निष्कर्ष उनके लिए चौंकाने वाला था क्योंकि उनका शोध अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ था, यानी एआई के पास इसे सार्वजनिक डोमेन में खोजने का कोई जरिया नहीं था। उन्होंने कहा, "जब मैंने इसे देखा, तो मुझे अकेले में इसे समझने के लिए एक घंटे की जरूरत पड़ी।"
यह सफलता इतनी अप्रत्याशित थी कि प्रोफेसर ने गूगल को ईमेल लिखकर पूछा, "क्या आपके पास मेरे कंप्यूटर तक कोई पहुंच है?" इस पर टेक कंपनी ने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सुपरबग्स पर नई परिकल्पना
वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि कुछ सुपरबग्स एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी कैसे बनते हैं। उनकी परिकल्पना थी कि सुपरबग्स विभिन्न वायरस से एक पूंछ विकसित कर सकते हैं, जिससे वे प्रजातियों के बीच आसानी से फैल सकें।
एआई ने न केवल उनकी परिकल्पना की पुष्टि की, बल्कि चार और नए विचार प्रस्तुत किए, जिनमें से एक पर अब शोध किया जा रहा है।
एआई से विज्ञान में बड़ा बदलाव
प्रो. पेनाडेस का मानना है कि एआई का यह उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। हालांकि कुछ लोगों को इससे नौकरियों पर खतरा लग सकता है, लेकिन वे इसे एक "अत्यंत शक्तिशाली उपकरण" मानते हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से विज्ञान को बदल देगा। यह ऐसा है जैसे मैं चैंपियंस लीग के फाइनल में खेल रहा हूं।"