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साइंस फिक्शन से हकीकत में आई तकनीक: आंखें बंद होने पर भी अब कॉन्टैक्ट लेंस से देख सकेंगे इंफ्रारेड लाइट!

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 737

नई तकनीक ने बदली दृष्टि की सीमाएं, अब अदृश्य को भी देख पाएंगे इंसान

29 मई 2025, टेक्नोलॉजी डेस्क | Prativad.com

अब वह समय दूर नहीं जब इंसान अदृश्य चीजों को भी देख सकेगा—और वह भी अपनी आंखें बंद रखते हुए। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अद्भुत कॉन्टैक्ट लेंस तकनीक विकसित की है, जो इंफ्रारेड (IR) लाइट को विज़िबल लाइट में बदल देती है। इसका मतलब यह है कि अब इंसान वो इंफ्रारेड किरणें भी देख सकेगा, जो सामान्य आंखें नहीं देख पातीं।

क्या है यह नया आविष्कार?
यह कॉन्टैक्ट लेंस खास नैनोमटीरियल से बनाए गए हैं, जो इंफ्रारेड लाइट को पकड़कर उसे मानव आंखों द्वारा देखे जा सकने वाले विज़िबल स्पेक्ट्रम में बदल देते हैं। इतना ही नहीं, इस लेंस की सबसे खास बात यह है कि यह तकनीक बंद आंखों पर भी काम करती है। यानी, लेंस आपकी पलकों के पार से भी इंफ्रारेड सिग्नल्स को डिटेक्ट कर सकते हैं।

कैसे करता है काम?
इस लेंस में एक अत्याधुनिक क्वांटम डॉट तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इंफ्रारेड फोटॉन्स को विज़िबल फोटॉन्स में बदलती है। यह लेंस किसी बाहरी पॉवर सोर्स की ज़रूरत के बिना काम करता है और इसे पहनने वाला व्यक्ति अंधेरे में भी चीज़ों को देख सकता है—जैसे कि सैन्य या सुरक्षा ऑपरेशन्स में आवश्यक होता है।

संभावनाओं का नया संसार
सुरक्षा और सेना: अंधेरे या धुएं से भरे इलाकों में बेहतर विज़न।
मेडिकल उपयोग: शरीर की ऊष्मा से जुड़ी बीमारियों की जांच में सहायक।
ऑगमेंटेड रियलिटी: नई जेनरेशन की एआर तकनीक को और अधिक इंटरएक्टिव बनाया जा सकता है।
नेत्रहीनों के लिए वरदान: भविष्य में यह तकनीक दृष्टिहीनों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है।

विशेषज्ञों की राय
नैनोटेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के अनुसार, “यह तकनीक भविष्य में न केवल हमारी देखने की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है, बल्कि इंसानी संवेदनाओं की परिभाषा को भी बदल देगी। जैसे-जैसे लेंस हल्के, सस्ते और जन-सुलभ होंगे, इसका उपयोग आम जनता तक भी पहुंचेगा।”

साइंस फिक्शन अब हकीकत बन रही है। यह इंफ्रारेड-कैपेबल कॉन्टैक्ट लेंस न सिर्फ रक्षा, चिकित्सा और सुरक्षा क्षेत्रों में क्रांति ला सकते हैं, बल्कि आम जीवन में भी दृष्टि की नई परिभाषा गढ़ सकते हैं।

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