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? 2036 तक चंद्रमा पर चीन-रूस का न्यूक्लियर पावर प्लांट, अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी?

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 581

29 मई 2025। वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में एक बड़ा मोड़ लेते हुए, चीन और रूस ने चंद्रमा पर एक संयुक्त परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता किया है। इस संयंत्र का उद्देश्य 2036 तक अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) को ऊर्जा प्रदान करना है। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब अमेरिका अपनी चंद्र महत्वाकांक्षाओं पर रोक लगाने की बात कर रहा है।

? रूस-चीन की नई अंतरिक्ष साझेदारी
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos और चीन की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच हस्ताक्षरित सहयोग ज्ञापन के अनुसार, यह चंद्र ऊर्जा संयंत्र मानव रहित तकनीक से स्वायत्त रूप से निर्मित किया जाएगा। Roscosmos के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने दावा किया है कि “तकनीकी प्रक्रियाएं लगभग तैयार हैं।”

?️ ILRS: अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन का ब्लूप्रिंट
स्टेशन का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक मानव रहित मिशनों को समर्थन देना और भविष्य की मानव उपस्थिति के लिए तकनीकी परीक्षण करना होगा।

इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित किया जाएगा।

अब तक 17 देश इस कार्यक्रम से जुड़ चुके हैं — जिनमें मिस्र, पाकिस्तान, थाईलैंड, वेनेजुएला और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

? लॉन्च प्लान: 2030 से 2035 तक पांच सुपर-हेवी मिशन
ILRS के लिए 2021 में जारी रोडमैप के अनुसार:

2030–35 के बीच 5 सुपर हेवी-लिफ्ट रॉकेट लॉन्च के ज़रिए बेस के घटकों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा।

चांग’ई-8 मिशन (2028) इस अभियान की आधारशिला रखेगा।

इसके बाद चीन बेस को आगे विकसित करने के लिए चंद्रमा की कक्षा में एक स्टेशन और दो अतिरिक्त नोड्स — भूमध्यरेखा और चंद्रमा के दूरस्थ हिस्से में — जोड़ने की योजना बना रहा है।

? ऊर्जा और तकनीकी ढांचा
ILRS को सोलर, रेडियोआइसोटोप और परमाणु जनरेटर से संचालित किया जाएगा।
इसके साथ ही, इसमें होगा:

हाई-स्पीड चंद्र-सतह संचार नेटवर्क

हॉपर, मानव रहित वाहन और दबावयुक्त रोवर्स

चंद्र-पृथ्वी संपर्क प्रणाली

?? अमेरिका की धीमी गति: आर्टेमिस और गेटवे संकट में
इस गठबंधन की घोषणा नासा के 2026 बजट प्रस्ताव के तुरंत बाद आई है, जिसमें उसके गेटवे स्टेशन मिशन को रद्द करने की संभावना जताई गई है।
जबकि अमेरिका का आर्टेमिस III मिशन, जो 2027 में मानव को फिर से चंद्रमा पर भेजने की योजना है, लगातार देरी से जूझ रहा है।

? अंतरिक्ष कूटनीति का नया अध्याय
यह सहयोग स्पष्ट रूप से अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले अंतरिक्ष प्रयासों को प्रतिस्पर्धा की नई चुनौती देता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रूस और चीन द्वारा अंतरिक्ष में नई भू-राजनीतिक धुरी स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा है।

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