
विधानसभा में खुलासा: विधायक संजय उइके के सवाल पर सरकार का जवाब
उच्च शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में पेश किया पूरा ब्योरा
28 जुलाई 2025 — राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को सबसे पहले लागू करने का दावा करने वाले मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा की हालत चिंताजनक है। विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 17 सरकारी विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों (Assistant Professors) के कुल 1069 स्वीकृत पदों में से 793 पद खाली हैं — यानी लगभग 74 प्रतिशत पदों पर अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई है। इससे प्रदेश की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पांच विश्वविद्यालयों में एक भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं
सरकार द्वारा हाल के वर्षों में खोले गए पांच विश्वविद्यालयों में एक भी सहायक प्राध्यापक पदस्थ नहीं है। इनमें शामिल हैं:
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा
क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय, गुना
क्रांति सूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय, खरगोन
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर
रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय, सागर
इन संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह से अतिथि शिक्षकों या अन्य विषयों के शिक्षकों के सहारे चल रही है।
93 विषयों में नहीं है कोई भी शिक्षक
17 विश्वविद्यालयों में कुल 93 विषय ऐसे हैं जिनमें एक भी स्थायी सहायक प्राध्यापक नियुक्त नहीं है। उदाहरण के लिए:
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर – अर्थशास्त्र, अंग्रेज़ी, इतिहास, संस्कृत, समाजशास्त्र, कंप्यूटर साइंस
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन – दर्शनशास्त्र, पर्यावरण प्रबंधन, सांख्यिकी, वाणिज्य, संस्कृत
तात्या टोपे विश्वविद्यालय, गुना – B.Sc., M.A., M.Com, PGDCA, B.Lib., M.Lib.
एपीएस विश्वविद्यालय, रीवा – व्यवसायिक अर्थशास्त्र, रूसी भाषा, मनोविज्ञान
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर – जनजातीय अध्ययन, एविएशन टूरिज्म, कृषि विज्ञान
चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय – योग, एग्री बिजनेस, समाजशास्त्र, कंप्यूटर साइंस, फ्रूट टेक्नोलॉजी
सिर्फ 276 सहायक प्राध्यापक संभाल रहे हैं पूरा दायित्व
पूरे प्रदेश की 17 विश्वविद्यालयों में केवल 276 असिस्टेंट प्रोफेसर ही नियुक्त हैं। बाकी की पढ़ाई अतिथि विद्वानों और समान विषयों के शिक्षकों से करवाई जा रही है।
सरकार ने स्थिति स्वीकार की
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधानसभा में इस स्थिति को स्वीकारते हुए कहा कि अधिकांश पद रिक्त हैं। जहाँ स्थायी शिक्षक नहीं हैं, वहाँ गेस्ट फैकल्टी या अन्य विषयों के शिक्षक अस्थायी रूप से कक्षाएं ले रहे हैं। साथ ही, अन्य विभागों की शिक्षक आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।
विधायक संजय उइके ने उठाया मुद्दा
यह जानकारी विधायक संजय उइके के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गई, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों की स्थिति और छात्रों की पढ़ाई के प्रबंधों की जानकारी मांगी थी।