
राजधानी भोपाल की निजी होटल में आयोजित हुआ एमएसएमई सम्मेलन-2025
प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव ने उद्यमियों को दिए भू-आवंटन पत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदल दिया पूरे देश का माहौल
12 अक्टूबर 2025। मध्यप्रदेश के उद्यमियों के लिए 13 अक्टूबर का दिन बेहद खास रहा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमएसएमई निवेश प्रोत्साहन एवं संवर्धन-2025 कार्यक्रम में एक तरफ उद्यमियों से वर्चुअली चर्चा की, तो दूसरी ओर प्रदेश के 700 एमएसएमई इकाइयों को सिगंल क्लिक के जरिये 197 करोड़ से अधिक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। सीएम डॉ. यादव ने 83 स्टार्टअप को 1 करोड़ से अधिक की सहायता राशि दी। कार्यक्रम में हर स्टार्टअप को 1 लाख 20 हजार रुपए दिए गए। इसके अलावा मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 237 उद्यमियों को सिंगल क्लिक के माध्यम से भू-आवंटन पत्रों का भी वितरण किया। उन्होंने उद्यम क्रांति योजना अंतर्गत हितग्राहियों को सहायता राशि के चेक भी दिए। एमएसएमई सम्मेलन-2025 में स्टार्टअप, निर्यात प्रोत्साहन-स्वदेशी, आत्मनिर्भर भारत पर सत्र भी आयोजित किए गए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उद्योगपति देश के असली कुबेर हैं। जैसे किसान खेतों में अन्ना उगाता है, जवान सीमा पर देश की रक्षा करता है उसी तरह उद्योगपति अपने काम से दूसरों का चूल्हा जलाते हैं, यह बड़े पुण्य का कार्य है। अतीत में देश ने व्यापार की आड़ में गुलामी भी झेली है। अंग्रेजों ने धन कमाने की लालसा में देशवासियों पर अत्याचार किए। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि अब हम सोने की चिड़िया नहीं, सोने का बाज बनने वाले हैं। अपने स्वदेशी और स्वावलंबन के संकल्प के साथ हम प्रदेश और देश को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद देश में माहौल बदला है। रेलवे से लेकर परिवहन के सभी साधन आधुनिक हुए हैं। देश का रेल बजट बढ़ा है। मध्यप्रदेश में डेढ़ लाख करोड़ के कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में रेलवे की चौथी लाइन को भी स्वीकृति मिल चुकी है।
उद्यमियों के साथ खड़ी प्रदेश सरकार
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेशवासियों में टेलैंट तो है, लेकिन उन्हें अवसर देने की आवश्यकता है। हमारी सरकार ने प्रदेश के क्षमतावान युवाओं को यहीं पर रोजगार उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है। आज 237 उद्योगपतियों को भूखंड आवंटित किए गए हैं। प्रदेश के 700 एमएसएमई इकाइयों को 197 करोड़ से अधिक की प्रोत्साहन राशि अंतरित की गई है। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि आप आगे बढ़िए, सरकार आपके साथ खड़ी है। एमएसएमई का दायरा बहुत बड़ा है। प्रदेश की 80 प्रतिशत आबादी इससे जुड़ी है। देश की जीडीपी का 20 प्रतिशत योगदान एमएसएमई से आता है। उन्होंने कहा कि जबलपुर से 7 बहनों ने लिज्जत पापड़ की शुरुआत की थी, जिससे आज लाखों बहनें जुड़ गईं। महेश्वरी साड़ी, सीहोर का शरबती गेहूं, रायसेन का बासमती चावल सहित कई ब्रांड अब अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनने जा रहे हैं। भविष्य में एमएसएमई से मध्यप्रदेश की नई तस्वीर बनेगी। एमएमएमई उद्योग का सबसे अच्छा ब्रांड एंबेसडर है। अब तक प्रदेश में 4 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां रजिस्टर हैं।
संभव हुआ नए विचार को आकार देना
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चैतन्य कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है। आज उद्यमियों को अगस्त तक की करीब 200 करोड़ की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। मध्यप्रदेश देश का इकलौता राज्य है, जहां इतनी तेजी से उद्यमियों को प्रोत्साहन राशि बांटी जा रही है। प्रदेश में पहली बार 50 प्रतिशत सब्सिडी शुरू की गई है। इसका लाभ छोटे व्यवसायियों को निर्यात में मिलेगा। उन्होंने कहा कि सभी व्यापारी इस सब्सिडी का लाभ उठाएं। इससे उद्योग नहीं चलता, लेकिन सब्सिडी किसी उद्योगपति के लिए शुरुआती दो साल में सबसे अधिक मदद करती है। यह उद्योग चलाने के लिए हैंड होल्डिंग है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए गुवाहाटी तक में इन्वेस्टमेंट समिट की है। इस वर्ष उद्यमियों को 1080 भूखंड आवंटित किए गए हैं। मंत्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हर ब्लॉक में औद्योगिक इकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हर स्तर पर संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। स्टार्टअप अप्रूव होने पर राज्य सरकार एक वर्ष के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह की सहायता प्रदान कर रही है, ताकि एक नया आइडिया जमीन पर आकार ले सके।
रोजगार-उद्योगों के विकास पर फोकस
उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मंशा है कि युवाओं को रोजगार मिले, उद्योगों का विकास हो। इसलिए उन्होंने उद्योग विभाग का जिम्मा स्वयं संभाला है। प्रदेश में लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में फरवरी 2025 में उद्योग आधारित 18 नीतियां लागू की गई हैं। एमएसएमई सेक्टर में निवेश करने पर पहले 46 प्रतिशत का औद्योगिक प्रोत्साहन मिलता था। लेकिन, अब 83 करोड़ तक के निवेश पर फ्लैट 50 प्रतिशत तक इंसेंटिव मिल रहा है। प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाई गई है। पूरे देश में सबसे अच्छी एमएसएमई पॉलिसी मध्यप्रदेश में ही लागू है। इसमें निजी सेक्टर को भी सहायता प्रदान की जा रही है। सरकार ने वर्ष 2024-25 में करीब 2500 यूनिट्स को 2162 करोड़ की वित्तीय सहायता राशि दी। आज करीब 200 करोड़ रुपए की राशि दी जा रही है। सिंह ने कहा कि उद्यम क्रांति योजना में 613 करोड़ की सहायता प्रदान की गई है। पिछले 6 साल में 820 ईकाइयों को भूमि आवंटन हो चुका है। आज 237 उद्यमियों को भूमि आवंटन पत्र वितरित किए गए। इसके साथ ही इकाइयों की संख्या लगभग 1100 हो गई है। उन्होंने कहा कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह सरल एवं पारदर्शी है। प्रदेश में अभी 6000 के आसपास स्टार्टअप हैं। इनमें से लगभग 2800 स्टार्टअप की कमान महिलाओं के हाथों में हैं। आज स्टार्टअप नीति 2025 के अंतर्गत प्रदेश के 83 स्टार्टअप को 1 करोड़ से अधिक की सहायता राशि का वितरण किया गया है।