27 नवंबर 2025। सुप्रीम कोर्ट ने दो नाबालिग लड़कियों की हत्या के मामले में पुलिस पर लगाए गए जुर्माने को फिलहाल रोक दिया है। यह जुर्माना मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लगाया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिस ने मामले की जांच भटकाने वाला काम किया है। हाई कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए जांच अधिकारी पर 1 लाख रुपये का दंड लगाया था।
जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस पी बी वराले की बेंच ने यह अंतरिम राहत पुलिस इंस्पेक्टर चैन सिंह उइके की याचिका पर दी। उइके ने हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें एक आरोपी की मौत की सजा रद्द कर दी गई थी और पूरी जांच को संदिग्ध माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी की ओर से पेश वकील अश्विन दुबे ने बताया कि मामला 4 अप्रैल 2022 का है। बालाघाट जिले के तिरोड़ी थाना क्षेत्र में राजीव सागर डैम के पास कुडवा नहर में पांच और तीन साल की दो बहनों के शव पाए गए थे।
जांच में पता चला कि दोनों बच्चियों को आखिरी बार उनके चाचा के साथ देखा गया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अपहरण और हत्या के आरोप लगाए। बालाघाट की स्पेशल कोर्ट ने 31 जनवरी 2024 को आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी।
लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच कमजोर और दिशाहीन थी। इसी आधार पर आरोपी को बरी कर दिया गया। साथ ही बालाघाट SP को निर्देश दिया गया कि वे जांच अधिकारी से 1 लाख रुपये वसूलें और सरकार को आरोपी को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस आदेश पर रोक लगाते हुए पूरे मामले पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।














