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अब मंत्रालय से होगी ई-आफिस प्रणाली लागू ....

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 863

Bhopal: वित्त विभाग ने मंगाई ई-नस्तिया,
दो साल में टूटी खुमारी

24 अप्रैल 2020। राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों से लंबित ई-आफिस प्रणाली मंत्रालय में लागू कर दी। अब इस प्रणाली के तहत लॉकडाऊन की अवधि तक वित्त विभाग को ई-आफिस के माध्यम से ही नस्तियां भेजी जायेंगी। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिये।
यह कहा गया आदेश में :
वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में सभी विभागों के के प्रमुखों से कहा गया है कि कोविड-19 की रोकथाम हेतु वर्तमान में लॉकडाऊन लागू किया गया है। लॉकडाऊन अवधि में वित्त विभाग में न्यूनतम अधिकारियों/कर्मचारियों से आवश्यक कार्य संपादित कराया जा रहा है। अधिकतर अधिकारी/कर्मचारी घर से ही कार्य रहे हैं। भौतिक रुप से नस्तियों एवं पत्राचारों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में प्रेषण करने हेतु जहां एक ओर मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं है, वहीं दूसरी ओर इससे कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना बढ़ती है।
इसलिये निर्देशानुसार वित्त विभाग को प्रेषित किये जाने वाले समस्त पत्राचार/नस्तियों को मंत्रालयीन ई-आफिर माड्यूल के तहत संबंधित विभाग का कार्य देख रहे उप सचिव को सीधे प्रेषित की जाये। विभागीय प्रस्ताव के साथ स्वयंपूर्ण संक्षेपिका आवश्यक रुप से संलग्र की जाये। अपवादस्वरुप अतिमहत्वपूर्ण मामले यथा मंत्रिपरिषद संक्षेपिका जिन पर त्वरित अभिमत आवश्यक है, उन्हें ही भौतिक रुप से प्रेषित किया जाये। ऐसा करते समय नस्ती पर ई-आफिस में नस्ती प्रेषित करने में आई कठिनाई का भी उल्लेख किया जाये।
यह व्यवस्था प्रथमत: लॉकडाऊन अवधि तक अनिवार्यत: अपनायी जाये।
कमलनाथ सरकार नहीं लागू कर पाई थी यह प्रणाली :
इस प्रणाली की रुपरेखा तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा वर्ष 2018 में तैयार की गई थी परन्तु विधानसभा आम चुनावों के कारण वह इसे लागू नहीं कर पाई थी। कमलनाथ सरकार के आने पर भी इसे लागू करने के प्रयास किये गये परन्ल्तु वह इसे लागू नहीं कर पाई जिसका खामियाजा लॉकडाऊन में करना पड़ रहा था। अब शिवराज सरकार के पुन: आने पर मंगलवार से इस प्रणाली को मंत्रालय स्तर पर लागू किया गया है। अभी इसे संचालनालय स्तर एवं संभाग व जिला स्तर पर लागू किया जाना बाकी है।



- डॉ. नवीन जोशी

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