Bhopal: 4 जुलाई 2018। राज्य सरकार ने कृषि औषधीय उपज ईसबगोल पर मंडी फीस 75 प्रतिशत घटा दी है। इस पर पहले प्रत्येक सौ रुपये पर दो रुपये मंडी फीस लगती थी जिसे घटा कर प्रत्येक सौ रुपये पर 50 पैसा कर दिया गया है।
ज्ञातव्य है कि ईसबगोल प्रदेश में अधिसूचित उपज है तथा किसानों द्वारा कृषि उपज मंडियों में इसका विक्रय किया जाता है। कृषि मंडी में जब व्यापारी इसका किसानों से विक्रय करता है तथा मंडी से बाहर ले जाने लगता है तो उस पर ईसबगोल के कुल मूल्य पर प्रति सौ रुपये दो रुपया मंडी शुल्क लिया जाता था। इस मंडी शुल्क की राशि को व्यापारी किसानों की ईसबगोल उपज के मूल्य को कम कर वसूल लेते थे। ईसबगोल का उपयोग व्यापारी आयुर्वेदिक औषधि में करते हैं। इस पर मंडी फीस ज्यादा होने से यह प्रसंस्करण के बाद मंहगी हो जाती थी तथा अन्य राज्यों के मुकाबले इसकी औषधि ज्यादा कीमत पर कीमत मिलती थी। इसीलिये प्रतिस्पर्धात्मक दरें हों इसके लिये इस पर मंडी फीस 75 प्रतिशत घटा दी गई है यानि अब इस पर मंडी फीस सौ रुपये पर मात्र 50 पैसे ही देने होंगे। इससे अब किसानों को ईसबगाल की उपज पर ज्यादा कीमत मिल सकेगी।
ईसबगोल एक एक झाड़ीनुमा पौधा है जिसके बीज का छिलका कब्ज, अतिसार आदि अनेक प्रकार के रोगों की आयुर्वेदिक औषधि है। ईसबगोल का उपयोग रंग-रोगन, आइस्क्रीम और अन्य चिकने पदार्थों के निर्माण में भी किया जाता है। ईसबगोल नाम एक फारसी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है 'घोड़े का कान', क्योंकि इसकी पत्तियाँ कुछ उसी आकृति की होती हैं।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि मध्यप्रदेश में ईसबगोल की पैदावार मुख्यत: मंदसौर और नीमच जिलों में होती है और वहीं की मंडियों में यह विक्रय के लिये ज्यदा आती है। इस पर मंडी फीस इसलिये कम की गई है ताकि किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य मिल सके और इसकी प्रतिस्पर्धात्मक दरें उपलब्ध हो सकें। मंडी फीस 50 पैसा होने से यह पूरी राशि संबंधित कृषि उपज मंडी के खाते में ही जायेगी तथा विपणन विकास निधि अर्थात किसान सडक़ निधि एवं कृषि अनुसंधान तथा अधोसंरचना विकास निधि जोकि राज्य स्तर पर होती है, कोई राशि नहीं जायेगी। इससे पहले जब मंडी फीस दो रुपये थी तो 50 पैसे संबंधित कृषि मंडी, एक रुपये विपणन विकास निधि तथा 50 पैसा मंडी बोर्ड के खाते में जाती थी।
? डॉ नवीन जोशी
प्रदेश में ईसबगोल पर मंडी फीस 75 प्रतिशत घटाई
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Bhopal
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