Bhopal: कांग्रेस ने इंदौर लोकसभा सीट से अक्षय बम को टिकट जरुर दिया था, लेकिन वे बेमन से चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों को भी उन पर शंका थी, उनका नामांकन निरस्त हो सकता है।
इस कारण देपालपुर के कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल का डमी नामांकन भरवाया गया था, लेकिन बम का नामांकन मंजूर हो गया। कांग्रेस के पदाधिकारियों को इस बात का अंदाजा जरा भी नहीं था कि बम नामांकन वापस ले सकते है। अब उनके मैदान से हटने के बाद इंदौर में भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी के लिए कांग्रेस की तरफ से कोई चुनौती नहीं है। कांग्रेस किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है।
बम को अपना बनाने के लिए भाजपा ने प्रेशर गेम सप्ताह भर पहले तैयार किया था। जैसे ही बम ने नामांकन पर्चा दाखिल किया। उसी दिन 17 साल पुराने जमीन के केस में उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हो गया। इस केस में बम उलझ गए और उनके नामांकन को भी भाजपा की तरफ से चुनौती दी गई। शपथ पत्र में हत्या के प्रयास की धारा छुपाए जाने को लेकर भाजपा ने आपत्ति ली थी और उनका नामांकन निरस्त करने की मांग की थी, हालांकि निर्वाचन अधिकारी ने आपत्ति निरस्त कर दी। बम के काॅलेज से जुड़ी शिकायतों के मामले फिर जिंदा होने लगे थे। इससे भी बम दबाव में आ गए थे।
पहले पिता को भी राजी किया
बम को भाजपा में लाने के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। महावीर जंयती के समय विजयवर्गीय और बम एक साथ मंच पर थे। तब बम ने विजयवर्गीय के पैर भी छुए थे। दरअसल विजयवर्गीय के अक्षय के पिता कांति बम से अच्छे संबंध है। अक्षय के कुछ रिश्तेदार भी भाजपा में है। उनके जरिए भी अक्षय को भाजपा में लाने की भूमिका तैयार की गई।
भाजपा का प्रेशर गेम झेल नहीं पाए अक्षय बम, 17 साल पुराने केस में बढ़ गई थी हत्या के प्रयास की धारा
Location:
Bhopal
👤Posted By: Admin
Views: 139526
Related News
Latest News
- 'भारत झुकेगा नहीं'- चीन से बातचीत पर रक्षा मंत्री
- मध्य प्रदेश: सीहोर में पहला महिला बाजार असफल
- यूरोपीय संघ ने कारों में गति सीमा का पालन कराने वाली तकनीक को अनिवार्य किया, ब्रिटेन ने इनकार किया
- ट्रांसजेंडर ने फैशन शो में दिया मतदान करने का संदेश
- जेपी मॉर्गन चेज़ के सीईओ ने भारत की नीतियों की प्रशंसा की, कहा भारत को "लेक्चर" ना दें