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जल संसाधन विभाग के दो अधिकारी दोषमुक्त, तीन अन्य को थमाई चार्जशीट

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 788

Bhopal: भोपाल 13 अगस्त 2022 । राज्य के जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों को राज्य शासन ने दोषमुक्त कर दिया है। वहीं, तीन अन्य अफसरों को अनियमितता बरतने पर चार्जशीट थमा दी है।
तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी उप संभाग रतलाम सीएस चरावन्डे ने अप्रैल 2012 में तबादला होने के बावजूद जल संसाधन कालोनी रतलाम में आवंटित श््राासकीय आवास रिक्त नहीं किया था और न ही किराया जमा किया था जिस पर उन्हें 2 फरवरी 2013 को निलम्बित कर दिया गया था। जांच के बाद 19 अगस्त 2013 को उनकी एक वेतनवृध्दि रोक कर दण्डित किया गया तथा निलम्बन से बहाल कर दिया गया। इस पर चरावन्डे ने अपील की परन्तु इस बार ईएनसी ने भी उन्हें 24 मई 2015 को आदेश जारी कर उनकी दो वार्षिक वेतनवृध्दि रोकने से दण्डित किया गया। चरावन्डे ने राज्य शासन के समक्ष अपील प्रस्तुत की जिस पर उनके सभी दण्डादेश समाप्त कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया और निलम्बन अवधि के वेतन एवं भत्ते देने के भी आदेश दिये गये। इधर, मनरेगा स्कीम के तहत जनपद पंचायत रामपुर नैकिन जिला सीधी में तत्कालीन सहायक यंत्री आरएस ठाकुर ने 28 मार्च 2006 से 9 फरवरी 2007 तक कराये गये विभिन्न कार्यों के मूल्यांकन का सत्यापन किया गया। छानबीन समिति ने पाया कि ठाकुर ने 23 लाख 95 हजार 257 रुपयों का अधिक मूल्यांकन सत्यापित किया। उन्हें 15 जनवरी 2009 को आरोप-पत्र दिया गया व विभागीय जांच की गई। जांच में पाया गया कि ठाकुर ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर यह सत्यापन किया जिस पर अब उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है।
इसी प्रकार, अपर पुरवा नहर संभाग रीवा के कार्यपालन यंत्री पीके पाण्डेय को शासकीय कार्यों में लापरवाही बरतने पर आरोप-पत्र थमाया गया है। उन पर आरोप है कि उनकी लापरवाही से 600 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई नहीं हो सकी। उन्हें आरोप-पत्र का जवाब पन्द्रह दिन के अंदर प्रस्तुत करने के लिये कहा गया है। इसी प्रकार, होशंगाबाद जिले में जल संसाधन उप संभाग चिचौली अनुविभागीय अधिकारी प्रवीण भूमरकर एवं उपयंत्री राजू बागडे के विरूद्ध अनियमितता संबंधी विभागीय जांच संस्थापित करने का निर्णय लिया गया है। दोनों को चार्ज शीट जारी कर दी गई है तथा पन्द्रह दिन के जवाब प्रस्तुत करने के लिये कहा गया है।


- डॉ. नवीन जोशी

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