गांधी सागर बना चीतों का नया घर: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किया पुनर्वास अभियान का शुभारंभ

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 296

📍 प्रतिवाद | मंदसौर, मध्यप्रदेश | 20 अप्रैल 2025

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को मंदसौर स्थित गांधी सागर अभयारण्य में दो नर चीतों – प्रभास और पावक – को खुले बाड़े में छोड़कर अंतर्राज्यीय चीता पुनर्वास अभियान की ऐतिहासिक शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के "सबसे सफल चीता पुनर्वास अभियान" की सराहना की और इसे वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बताया।

यह पहली बार है जब देश में एक राज्य के वन क्षेत्र से दूसरे राज्य के सीमावर्ती अभयारण्य में चीतों को पुनर्वासित किया गया है। दोनों चीते इससे पहले श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में प्राकृतिक वातावरण में शिकार करते हुए स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे थे। उनकी अनुकूलता को देखते हुए अब उन्हें गांधी सागर में सीधे खुले बाड़े में छोड़ा गया है।

मालवा में दर्ज हुआ ऐतिहासिक दिन
20 अप्रैल का दिन मालवा क्षेत्र के लिए वन्य संरक्षण की दृष्टि से एक ऐतिहासिक मोड़ बन गया है। मंदसौर और नीमच जिलों में इस पुनर्वास से न केवल जैव विविधता को बल मिलेगा, बल्कि पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिलेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा:

“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुआ चीता प्रोजेक्ट अब मध्यप्रदेश की पहचान बन गया है। कूनो में चीतों के सर्वाधिक शावकों का जन्म होना इस सफलता का प्रमाण है। गांधी सागर में चीतों का आगमन मालवा क्षेत्र के पर्यटन को नई ऊँचाइयाँ देगा।”

कूनो से गांधी सागर तक चीतों का रोमांचक सफर
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से प्रभास और पावक नामक दो युवा नर चीतों को रविवार सुबह विशेष वाहनों में रवाना किया गया। इस अभियान का नेतृत्व सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉ. ओंकार अचल ने किया। 20 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम चीतों के साथ गांधी सागर पहुंची और आगामी 7 दिनों तक वहीं रहेगी ताकि स्थानीय स्टाफ को चीतों की देखभाल और निगरानी के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।

चीते बारां, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचे। यात्रा के दौरान पिंजरे और वाहनों को पूरी तरह से सैनिटाइज किया गया था। गांधी सागर में 37 किलोमीटर लंबा विशेष बाड़ा तैयार किया गया है, जिसमें चीतों को स्वतंत्र रूप से विचरण करने की सुविधा होगी। साथ ही, किसी भी आपात स्थिति के लिए मेडिकल टीम और विशेष सुरक्षा वाहन भी तैनात किए गए हैं।

उपस्थित रहे गणमान्य अतिथि और नागरिक
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक अनिरुद्ध मारू, हरदीप सिंह डंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया, अपर मुख्य सचिव (वन) अशोक वर्नवाल, संभागायुक्त संजय गुप्ता, तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी असीम श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में नागरिक एवं वन्यजीव प्रेमी उपस्थित रहे।

नवीन अध्याय की शुरुआत
गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का यह पुनर्वास अभियान न केवल वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि मध्यप्रदेश को ग्लोबल वाइल्डलाइफ मैप पर एक महत्वपूर्ण स्थान भी दिलाता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कैसे प्रभास और पावक मालवा की इस नई धरती को अपना स्थायी घर बनाते हैं।




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