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शारीरिक शोषण मामले में हाईकोर्ट का सख्त रुख: पूर्व कुलपति को 35 लाख और मप्र सरकार को 5 लाख हर्जाने का आदेश

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 340

16 जुलाई 2025। देश के प्रतिष्ठित खेल शिक्षण संस्थान एलएनआईपीई (लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन) में कार्यरत महिला प्रशिक्षक के साथ हुए शारीरिक शोषण के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने संस्थान के पूर्व कुलपति डॉ. दुरेहा को पीड़िता को 35 लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। साथ ही, मध्यप्रदेश सरकार को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा गया है। इसके अलावा, कोर्ट ने एलएनआईपीई पर 1 लाख रुपये की कॉस्ट भी लगाई है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी: 'जो किसी कार्य के योग्य नहीं, उसे दे दिया प्रशासन का जिम्मा'
जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने अपने फैसले में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे व्यक्ति को संस्थान का नेतृत्व सौंपा गया, जो न केवल अनुशासनहीन था बल्कि कानून और नैतिकता के प्रति भी असंवेदनशील रहा। कोर्ट ने इसे "सिस्टम की विफलता" करार देते हुए तीखी टिप्पणी की।

महिला प्रशिक्षक की लंबी लड़ाई: 50 से अधिक आवेदन, एफआईआर में भी देरी
पीड़िता ने 2019 से लेकर अब तक 50 से अधिक आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई थी। शिकायतों के बावजूद न तो संस्थान ने कार्रवाई की, न ही पुलिस ने तत्काल प्राथमिकी दर्ज की। जब पुलिस ने कोई मदद नहीं की, तो महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां से संरक्षण मिलने के बाद वह हाईकोर्ट आईं।

गंभीर आरोप: 'शारीरिक संबंध बनाने का दबाव, मना करने पर धमकियाँ'
एडवोकेट योगेश चतुर्वेदी के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया कि तत्कालीन कुलपति ने शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला और मना करने पर करियर खत्म करने की धमकी दी। एक घटना में उन्होंने सुबह क्लास के दौरान महिला को अनुचित ढंग से छुआ, जिसके बाद उसने तत्काल शिकायत की।

पीड़िता को नहीं मिला वेतन, मानसिक पीड़ा और सामाजिक अपमान झेलना पड़ा
कोर्ट ने कहा कि शोषण के कारण महिला दो वर्षों तक काम पर नहीं जा सकी, उसे वेतन भी नहीं मिला और मानसिक तनाव के साथ उसकी सामाजिक छवि भी धूमिल हुई। यह सब कुछ तत्कालीन कुलपति की प्रतिशोधात्मक कार्यवाही के चलते हुआ।

राज्य सरकार की लापरवाही पर भी सवाल
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने में तीन साल की देरी न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है, और इसी वजह से पीड़िता को और अधिक मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। इसलिए राज्य सरकार को भी 5 लाख रुपये हर्जाना देना होगा।

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