
28 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए देश का पहला ऐसा वक्फ बोर्ड बनने का गौरव हासिल किया है, जो अपनी संपत्तियों का किराया अब पूरी तरह ऑनलाइन माध्यम से वसूलेगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने इस नई व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत प्रदेश के सभी जिलों में मस्जिदों और मदरसों के बैंक खाते खोले गए हैं।
वक्फ बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, इस कदम का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की सटीक निगरानी रखना है—कहां कितनी संपत्ति है, उससे कितना किराया मिल रहा है, और संपत्तियों के विकास कार्यों में कितना व्यय हो रहा है, इसकी पूरी जानकारी अब डिजिटल रूप से उपलब्ध रहेगी।
पिछले घोटालों से सबक
गौरतलब है कि पूर्व में वक्फ बोर्ड की लगभग 500 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति कब्जे में चली गई थी, जिसमें पूर्व पदाधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप लगे थे। नई व्यवस्था के तहत अब संपत्तियों की आमदनी और उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इस मामले की शिकायत वक्फ बोर्ड ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से भी की है।
ऑनलाइन भुगतान अनिवार्य
बोर्ड के नए निर्देशों का पालन करते हुए अधिकांश जिलों में मस्जिदों और मदरसों के पदाधिकारी ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया अपना चुके हैं। अब वक्फ संपत्तियों के किरायेदारों को किराया सीधे बैंक खातों में जमा करना अनिवार्य होगा; ऑफलाइन भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही, जिलेवार मस्जिदों और मदरसों के पदाधिकारी मासिक खर्च का ब्योरा भी वक्फ बोर्ड को भेज रहे हैं।
केंद्र सरकार की टीम कर रही ऑडिट
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक लागू होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्यों में वक्फ संपत्तियों का ऑडिट कराया जा रहा है। इसी कड़ी में बीते दो हफ्तों से छत्तीसगढ़ में एक केंद्रीय टीम वक्फ संपत्तियों की जांच कर रही है। इस ऑडिट में विवादित संपत्तियों, वक्फ के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों और उनकी वार्षिक आमदनी का विस्तृत विवरण तैयार किया जा रहा है।
यह डिजिटल पहल न केवल पारदर्शिता को बढ़ाएगी, बल्कि वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।