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मध्यप्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में स्थापित किए नये कीर्तिमान

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 554

नरवाई प्रबंधन के लिए 412 करोड़ रूपये की अनुदान राशि जारी

21 मई 2025। मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। साथ ही फसलों के उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर रिकार्ड बनाया। प्रदेश दालों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर, खाद्यान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर एवं तिलहन उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। तृतीय फसली क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है। नरवाई जलाने को हतोत्साहित करने के लिए कुछ प्रतिबंध भी लगाये गये है। कृषकों को फसल आच्छादन के अवशेष जलाने से रोकने के लिये शासन द्वारा कई कदम उठाये गये हैं, जिसमें प्रदेश स्तर पर 46,800 से अधिक नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र अनुदान पर वितरित करते हुए 412 करोड़ रूपये की अनुदान राशि जारी की गई है। नरवाई जलाने की घटना वाले कृषकों को आगामी एक वर्ष के लिए मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि 6 हजार रूपये का भुगतान नहीं किये जाने के साथ ही आगामी एक वर्ष के लिए उनकी उपज का उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं करना भी शामिल है।

राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में कृषि उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण अंतर्गत कई कार्यक्रम चलाये जा रहे है, जिससे प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। खरीफ 2024 के धान उत्पादक कृषकों को जिन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान का विक्रय किया है, उन्हें प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी। चार हजार रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से प्रोत्साहन राशि का वितरण किया जायेगा, जिसमें एक कृषक को अधिकतम दस हजार रूपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में प्रदाय की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा रबी 2024-25 में उपार्जित गेहूँ पर 175 रुपए प्रति क्विटंल प्रोत्साहन राशि प्रदाय की जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में लगभग 83.50 लाख से अधिक किसानों को लगभग 1770 करोड़ रुपए उनके खाते में सिंगल क्लिक के माध्यम से 24 फरवरी, 2025 को जमा किए गए है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 10 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 81 लाख से अधिक किसानों को 1624 करोड़ रुपए उनके बैंक खाते में सिंगल क्लिक से जमा किए गए हैं।

प्रदेश में पहली बार भारत सरकार की सपोर्ट प्राइस स्कीम में सोयाबीन का उपार्जन किया गया, जिसमें 2 लाख 12 हजार 568 कृषकों से 6.22 लाख मीट्रिक मात्रा का उपार्जन किया गया, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि 3043.04 करोड़ रुपए है। श्रीअन्न के उत्पादन को बढावा देने के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न (मोटा अनाज) प्रोत्साहन योजना लागू की गई है। इसमें किसानों को 3900 रुपए प्रति हैक्टेयर डी.बी.टी. के माध्यम से उनके बैंक खाते में देय होंगे। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ ही फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, सॉयल हेल्थ कार्ड और सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि का लाभ भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल के नुकसान का समय पर आंकलन एवं राहत राशि का वितरण किसानों को समय पर मध्यप्रदेश में मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नामांकन और दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एनसीआईपी पोर्टल के साथ अपने भूमि रिकॉर्ड को सफलतापूर्वक एकीकृत करने एवं इस पोर्टल को और अधिक किसान अनुकूल बनाने के लिए 'उत्कृष्टता प्रमाण पत्र' प्रदान किया गया है।

आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए शासन द्वारा नमो ड्रोन दीदी योजनांतर्गत प्रदेश में 89 दीदीओं को स्वाबलंबी बनाया गया है। इनके माध्यम से 4200 हैक्टेयर में तरल उर्वरक का छिड़काव तथा राशि रूपये 21.22 लाख की शुद्ध आय प्राप्त की। इस वर्ष 2025-26 में 1066 दीदियों को इसका लाभ दिया जा रहा है।

प्रदेश में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, रिलायंस एवं गेल कंपनी द्वारा स्थापित किये जा रहे सीबीजी प्लांट में फसल अवशेष से कम्प्रेस बायो गैस निर्माण की जायेगी, इसके लिये राज्य सरकार ने नरवाई प्रबंधन से संबंधित हाईटेक हब केन्द्र स्थापना पर हितग्राही को अधिकतम 97.50 लाख रूपये तक का अनुदान दिया जा रहा है। ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदाय किये जाने के लिये विभागीय कौशल विकास केन्द्र के माध्यम से ट्रैक्टर सर्विस मैकेनिक तथा कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन ऑपरेटर का प्रशिक्षण देश की प्रतिष्ठित निर्माता कंपनी के सहयोग से दिया जाता है। विभागीय केन्द्रों के माध्यम से वर्ष 2024-25 तक 7361 प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें से 1939 प्रशिक्षणार्थियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ। कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से किसान ड्रोन पायलट प्रशिक्षण एवं ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान कराया जा रहा है। प्रशिक्षण में 50 प्रतिशत शुल्क का भुगतान राज्य शासन द्वारा वहन किया जा रहा है। कुल 412 युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण तथा 33 प्रशिक्षणार्थियों को ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया ।

कृषकों को सस्ती दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण युवाओं को स्वावलंबी बनाये जाने के लिये शासन के जन संकल्प पत्र-2023 के अनुपालन में हर वर्ष 1000 कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं। पूरे देश में इस योजना की पहल मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2012 में की गई तथा अब तक 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्र प्रदेश स्तर पर स्थापित होकर कृषकों को लाभ दे रहे है। आवेदक को प्रोजेक्ट की लागत अधिकतम राशि रू. 25 लाख तक के प्रोजेक्ट पर 40 प्रतिशत अधिकतम राशि रूपये 10 लाख का अनुदान दिया जाता है। प्रदेश में APEDA अन्तर्गत 11.48 लाख हैक्टयर फसल उत्पादन क्षेत्र एवं वनोपज संग्रहण क्षेत्र सहित 20.55 लाख हेक्टेयर जैविक क्षेत्र पंजीकृत है। "एक जिला-एक उत्पाद" अंतर्गत कृषि संबंधी 06 उत्पाद कोदो-कुटकी-अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, सिंगरौली, तुअर दाल- नरसिंहपुर, चना-दमोह, बासमती चावल-रायसेन, चिन्नोर चावल-बालाघाट, सरसों-भिण्ड एवं मुरैना, अंतर्गत 10 जिले शामिल किये गये है।

फार्म गेट ऐप के तहत किसान अपनी उपज का विवरण, फोटो मोबाइल एप्लिकेशन पर डाल कर मंडी मे पंजीकृत व्यापारियों के साथ मोल भाव कर सकता है। सौदा तय होने पर किसान की सहमति प्राप्त कर व्यापारी सीधे किसान के गाँव या खेत से उपज उठा लेता है। इससे भौतिक रूप से माल के परिवहन की आवश्यकता नहीं रहती। यह उपज न बिकने की अनिश्चितता को समाप्त करता है। मंडी में सही दाम न मिलने पर भी, विशेषकर छोटे और मध्यम किसान जिनके पास अपने परिवहन के साधन नहीं होते है, उन्हें अब मजबूरी में उपज नहीं बेचना पड़ती है। भाड़े की बचत होती है। मंडी के माध्यम से किसान को मंडी अनुबंधित व्यापारी का चयन कर खेत या गोदाम पर ही फसल को बेचने की सुविधा है।

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