
17 जून 2025 — मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के विरुद्ध चल रही अदालती कार्यवाही को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने समाप्त कर दिया है। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के 28 मई को दिए गए निर्देश के अनुरूप लिया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से निवेदन किया था कि मंत्री विजय शाह के खिलाफ स्वतः संज्ञान से शुरू की गई प्रक्रिया को बंद किया जाए।
मामला उस बयान से जुड़ा है, जो मंत्री विजय शाह ने महू के अंबेडकर नगर स्थित रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिया था। हाईकोर्ट ने इस बयान को गंभीर मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया था और 14 मई को मंत्री के खिलाफ बीएनएस की धाराओं 152, 196(1)(बी), और 197(1)(सी) के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की खंडपीठ ने अपने पहले आदेश में टिप्पणी की थी कि मंत्री द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा "गटर लेवल" की थी और इसमें प्रथम दृष्टया धार्मिक वैमनस्य फैलाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है।
15 मई की सुनवाई में कोर्ट ने दर्ज एफआईआर की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए थे। पीठ ने पाया था कि एफआईआर में मंत्री द्वारा किए गए कथित अपराध का स्पष्ट विवरण नहीं है, जिससे उसकी वैधता पर प्रश्न खड़े होते हैं। अदालत ने निर्देश दिए थे कि अपराध के ठोस विवरण के साथ नई एफआईआर दर्ज की जाए और उसकी न्यायिक निगरानी भी की जाएगी।
हालांकि अब सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई लंबित होने के कारण, हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सोमवार को यह कार्यवाही समाप्त कर दी।