26 अप्रैल 2023। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों की नाराजगी दूर करेगी। इसके लिए उच्च स्तर पर पदोन्नति शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार जुलाई से सितंबर के बीच पदोन्नति शुरू कर देगी। हालांकि, पदोन्नति उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अधीन रहेगी। यानी न्यायालय का जो निर्णय रहेगा, अधिकारियों-कर्मचारियों को स्वीकार होगा। प्रदेश में सात साल से पदोन्नति पर रोक है।
राज्य सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के दूसरे विकल्प के रूप में वरिष्ठ पद का प्रभार देना शुरू किया है। पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों को आठ माह पहले यह लाभ दिया जा चुका है। अब स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को प्रभार दिया जा रहा है, पर अधिकारी और कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं हैं।
उनका कहना है कि प्रभार देना अलग बात है और पदोन्नति अलग। वरिष्ठ प्रभार मिलने से पैसा तो मिल जाएगा, पर वह प्रतिष्ठा (हैसियत) नहीं मिलेगी। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी और मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एमपी द्विवेदी कहते हैं कि पदोन्नति कर्मचारियों का अधिकार है और यह मिलना ही चाहिए। इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। ऐसा नहीं किए जाने से कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है। बता दें कि अप्रैल 2016 को जबलपुर उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध सरकार उच्चतम न्यायालय चली गई और तभी से मामला लंबित है।
70 हजार कर्मचारी हुए सेवानिवृत
पिछले सात साल में प्रदेश में करीब 70 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से करीब 39 हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले पदोन्नति मिलनी थी। हर साल पांच हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और कहीं ना कहीं यह कसक है कि वे जिस पर का अधिकार रखते हैं, वह नहीं बन पाए हैं।
चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार शुरू करेगी पदोन्नति, विचार शुरू
Place:
भोपाल 👤By: prativad Views: 788
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