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मंत्रीगण को विभागीय कार्यप्रणाली को अच्छे से समझना चाहिए : विधानसभा अध्यक्ष तोमर

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 2132

लीडरशिप समिट के दूसरे दिन विभिन्न वक्ताओं ने साझा किए मूल्यवान विचार
4 फरवरी 2024। मंत्रीगण विधान सभा में दिए आश्वासनों को प्रतिबद्धता के साथ पूरा करें। यह बात विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में लीडरशिप समिट के दूसरे दिन के पहले सत्र को सम्बोधित करते हुए कही। विधान सभा अध्यक्ष श्री तोमर प्रशासनिक समन्वय एवं विधानसभा कार्यप्रणाली विषय पर उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मंत्रीगण को अपने विभाग की कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं को पूरी तरह समझना चाहिए। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल एवं मंत्रि-परिषद के सदस्य उपस्थित थे।

विधान सभा अध्यक्ष तोमर ने प्रशासनिक व्यवस्था और कार्यप्रणाली को समझाते हुए कि नीतियों के बनाने, क्रियान्वयन करने और समीक्षा को बेहतर ढंग से करने के लिए अध्ययन करने की सलाह दी। मंत्रीगण अपने अपने विभाग में नवाचार पर भी ध्यान दें। समीक्षा करने के साथ विभाग में समय की मांग के अनुसार प्रशासनिक सुधार करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण संवाद और सहयोग महत्वपूर्ण है। सरकार और प्रशासन एक इसरे के पूरक है। मंत्रीगण को विभागीय अधिकारियों की कान्फ्रेन्स करना चाहिए। इसमें विभागीय अधिकारियों से महत्वपूर्ण फीडबेक मिलता है। उन्होंने कहा कि विभाग के विशेषज्ञों का ग्रुप बना कर विभाग के कार्य में विशेषज्ञ का सहयोग लेना चाहिए।

विधान सभा अध्यक्ष तोमर ने जिला प्रभारी मंत्री के रूप में बेहतर ढंग से दायित्व निर्वहन पर भी जानकारी दी। उन्होंने विभाग की योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए केंद्र सरकार से राशि प्राप्त करने के संबंध में भी बताया।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बजट, मंत्रालयीन कार्य प्रणाली, कार्य आवंटन नियम, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना नियमावली विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अनुपूरक अनुमान विधानसभा के प्रत्येक सत्र में लाया जा सकता है। उन्होंने वजट और बजट प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि वित्तीय अनुशासन के साथ विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना है। वित्तीय आत्मनिर्भरता लक्ष्य होना चाहिए। उन्होने बजट प्रबंधन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

अपर सचिव सुधीर कोचर ने राज्य स्तरीय प्रशासनिक संरचना विषय पर जानकारी दी। उन्होंने प्रशासनिक प्रक्रिया और प्रशासनिक शब्दावली की जानकारी भी दी। श्री दुष्यंत सिंह ने भी सोशल मीडिया प्रबंधन, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ समन्वय पर और वाय. के. पाठक ने सुशासन में प्रोद्योगिकी का महत्व ई-ऑफिस, भण्डार क्रम प्रक्रिया ई-टेंडरिंग नियम तथा जेम की जानकारी दी।

दूसरा सत्र
लीडरशिप समिट के दूसरे सत्र में डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने अन्य भाजपा संचालित राज्य सरकारों की सफल योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने गुजरात के बड़ोदरा में शुरू की गई जन-विश्वास बस योजना, केनाल टॉप सोलर प्रोजेक्ट, शाला प्रवेश उत्सव, अहमदाबाद का बीआरटीएस, उत्तर प्रदेश का नकलमुक्त प्रदेश अभियान, एक जिला-एक उत्पाद योजना, हरियाणा की परिवार पहचान-पत्र योजना, महाराष्ट्र की जलयुक्त शिवार योजना, गोवा की स्वयं पूर्ण योजना और राजस्थान की अंत्योदय योजना के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने गोवर्धन योजना पर भी चर्चा की।

स्वच्छ इंदौर अब हमारे नागरिक संस्कारों में आ गया है
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के स्वच्छ एवं विकसित शहर के रूप में उभरने की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वच्छ इंदौर अब हमारे नागरिक संस्कारों में आ गया है। इंदौर का हर व्यक्ति सफाई मित्र है। कचरे से सीएनजी गैस और खाद बनाकर नगर निगम आय भी अर्जित कर रहा है। उन्होंने बताया कि इंदौर में स्वच्छता अभियान की शुरूआत रहवासी संघ बनाकर की गई। नागरिकों, सामाजिक संगठनों सहित सभी संबंधित लोगों से चर्चा कर यह निर्णय लिया गया कि शहर में कहीं भी कचरा नहीं दिखना चाहिये। साथ ही दण्ड और पुरस्कार की भी योजना बनाई गई। रात्रिकालीन सफाई शुरू की गई और घर में ही गीले और सूखे कचरे के सेग्रीगेशन की व्यवस्था की गई। कचरा वाहनों में जीपीएस लगाये गये।

एसोसिएट मैनेजर कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन सुश्री श्वेता सिंह ने सतत विकास लक्ष्य एवं मिशन कर्मयोगी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिशन का उद्देश्य है कि सिविल सेवक वेतनभोगी नहीं, कर्मयोगी बनें। सुश्री सिंह ने कहा कि नियम आधारित के स्थान पर भूमिका आधारित प्रणाली विकसित हो। उन्होंने आई-गाट (I-GOT) विशेष प्रयोजन वाहन के बारे में भी बताया।

सत्र के अंत में डॉ. महेन्द्र सिंह ने व्यापक और ज्ञानपरक जानकारी दी।

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