
◼️ 2019 से 2020 के बीच आबकारी विभाग में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियाँ उजागर
2 अगस्त 2025। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग में बड़ी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, मई 2019 से दिसंबर 2020 के बीच बिना वैध दस्तावेज़ों के शराब निर्माताओं और डिस्टिलरियों को ₹358 करोड़ का एक्स-डिस्टिलरी प्राइस (EDP) रिफंड किया गया।
आमतौर पर शराब निर्माता कंपनियाँ गोदामों तक शराब की आपूर्ति करती हैं, और शराब दुकान संचालक सरकार को भुगतान कर गोदाम से शराब प्राप्त करते हैं। इसके बाद डिस्टिलरियाँ सरकार से EDP के रूप में रिफंड की मांग करती हैं, जिसके लिए दस्तावेज़ी दावों की आवश्यकता होती है।
लेकिन CAG की जांच में पाया गया कि इस अवधि में आबकारी आयुक्त कार्यालय को शराब निर्माताओं की ओर से कोई औपचारिक दावा प्राप्त नहीं हुआ था, फिर भी उन्हें रिफंड जारी कर दिए गए। आयुक्त यह भी स्पष्ट नहीं कर सके कि किस आधार पर और किन दस्तावेज़ों के बिना ये भुगतान किए गए। दस्तावेज़ों के अभाव में यह भी स्पष्ट नहीं है कि संबंधित राशि वास्तव में खुदरा विक्रेताओं द्वारा दी गई थी या नहीं।
CAG ने इस आधार पर रिफंड जारी करने को गलत बताया और कहा कि ऐसे सभी भुगतानों के लिए वैध दस्तावेज़ और राजकोषीय रिकॉर्ड से सत्यापन अनिवार्य था।
◼️ नर्मदापुरम में फर्जी बैंक गारंटी का मामला भी उजागर
रिपोर्ट में नर्मदापुरम ज़िले में एक और गंभीर मामला सामने आया है। यहाँ 19 ठेकेदारों के नाम पर जारी 18.39 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रमाणित नहीं थी। कई मामलों में जिन व्यक्तियों के नाम पर बैंक गारंटी दी गई, उन्होंने ठेके के लिए आवेदन ही नहीं किया था, और जिन लोगों ने आवेदन किया, उनके नाम बैंक गारंटी में शामिल नहीं थे।
आबकारी विभाग द्वारा इन बैंक गारंटियों की वैधता की कोई पुष्टि नहीं की गई। CAG ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच की सिफारिश की है, साथ ही फर्जी गारंटी के पीछे लाइसेंसधारकों और संबंधित बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने को कहा है।