
15 सितंबर 2025। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 18 से 45 वर्ष के लोग साइबर अपराधियों की पहली पसंद बन गए हैं। अधिकारी बताते हैं कि उनके बायोमेट्रिक डाटा (अंगूठे और उंगलियों के निशान) का दुरुपयोग कर ठग नकली सिम कार्ड बनवाते हैं, जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी में किया जाता है।
इसी खतरे को रोकने के लिए साइबर पुलिस ने जिला पुलिस बल की मदद से राज्यभर में ऑपरेशन FAST (Fake Activated SIM Termination) शुरू किया है।
जाँच में सामने आया कि सीधी, छतरपुर, दतिया, डिंडोरी और शिवपुरी ज़िले नकली सिम कार्ड सप्लाई के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं। साइबर एसपी प्रणय नागवंशी के मुताबिक, ये कार्ड न केवल झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में ठगों तक पहुँचे, बल्कि कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय गिरोहों तक भी भेजे गए।
आंकड़े बताते हैं कि करीब 60% नकली सिम कार्ड मामलों में ग्रामीण युवाओं और वयस्कों (18–45 आयु वर्ग) के बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल हुआ। कई PoS (सिम बिक्री केंद्र) संचालकों पर भी आरोप है कि उन्होंने ग्राहकों की पहचान और अंगूठे के निशान का उपयोग कर बड़े पैमाने पर सिम कार्ड निकाले और बाद में इन्हें अपराधियों को बेच दिया।
साइबर पुलिस ने लोगों को चेताया है कि सिम कार्ड खरीदते समय अपने बायोमेट्रिक डेटा को लेकर सावधान रहें। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी वास्तविक पहचान का गलत इस्तेमाल न हो।