22 दिसंबर 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, महिला-बाल कल्याण और कृषि से जुड़े अहम फैसले लिए गए।
बड़वाह-धामनोद 4-लेन मार्ग को 2,508 करोड़ की मंजूरी
कैबिनेट ने बड़वाह-धामनोद 4-लेन मार्ग (62.795 किमी) को पेव्हड शोल्डर सहित उन्नत करने और निर्माण के लिए 2,508 करोड़ 21 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी। यह परियोजना हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HAM) पर होगी और इसमें भूमि अधिग्रहण भी शामिल है।
परियोजना के तहत 10 बायपास, 5 बड़े पुल, 23 मध्यम पुल, 12 VUP/SVUP, 7 बड़े जंक्शन और 56 मध्यम जंक्शन बनाए जाएंगे। लागत का 40 प्रतिशत राज्य राजमार्ग निधि से वहन किया जाएगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत राशि 15 वर्षों तक 6-6 महीने की एन्यूटी के रूप में राज्य बजट से दी जाएगी।
सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 को पांच साल की निरंतरता
मंत्रि-परिषद ने सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 योजनाओं को वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक, यानी अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दी। यह स्वीकृति भारत सरकार के तय मापदंडों और 16वें वित्त आयोग की अवधि के अनुरूप है।
इन योजनाओं में पूरक पोषण आहार, शाला पूर्व शिक्षा, सक्षम आंगनवाड़ी भवन, पोषण अभियान, किशोरी बालिकाओं की योजना और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शामिल है। प्रदेश के 55 जिलों में 453 बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 97,882 आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से यह योजनाएं संचालित होंगी।
जबलपुर विधि विश्वविद्यालय के दूसरे चरण के लिए 197 करोड़ स्वीकृत
मध्यप्रदेश धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर के द्वितीय चरण के भवन निर्माण के लिए 197 करोड़ 13 लाख रुपये की मंजूरी दी गई। इस चरण में प्रशासनिक भवन, एकेडमिक ब्लॉक, कुलगुरु और कुलसचिव आवास, 12 बहुमंजिला स्टाफ क्वार्टर्स और कैंपस बाउंड्रीवाल का निर्माण होगा।
विश्वविद्यालय में BA LLB (Hons), LLB (Hons) और PhD पाठ्यक्रमों में कुल 1,272 सीटें स्वीकृत हैं, जिनमें फिलहाल 720 छात्र अध्ययनरत हैं।
प्रदेशभर में वेदर स्टेशन और रेनगेज के लिए 434 करोड़
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत WINDS (Weather Information Network and Data System) कार्यक्रम को लागू करने की मंजूरी दी। इसके तहत हर तहसील में स्वचालित मौसम केंद्र और हर ग्राम पंचायत में स्वचालित रेनगेज लगाए जाएंगे।
इस परियोजना पर अगले पांच वर्षों में 434 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। इससे मौसम आधारित सटीक डेटा उपलब्ध होगा, जिससे फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन तेज और अधिक पारदर्शी हो सकेगा। यह डेटा एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए भारत सरकार को भी उपलब्ध कराया जाएगा।














