3 मई 2017, मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे एक पत्र में तल्ख टिप्पणी की है। पत्र में कहा है कि एक अत्यंत संवेदनशील शासन के होते हुये भी गरीब, असहाय व पीडि़त व्यक्ति को अधिकारियों की संवेदनहीनता के कारण क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिल पाती, जबकि सीएम के ध्यान में आने पर इन प्रकरणों से भी कम गंभीर प्रकरणों में राहत व क्षतिपूर्ति राशि तत्काल स्वीकृत उनके द्वारा की जाती है।
आयोग ने आगे टिप्पणी की है कि अधिकारियों द्वारा विभिन्न कानूनों में दिये गये उत्तरदायित्वों का निर्वहन गंभीरता से नहीं किया जा रहा है व इन विभागों द्वारा मूल कत्र्तवयों का निर्वहन बहुत लापरवाही से किया जा रहा है।
आयोग ने पत्र में अन्य बिन्दुओं पर भी कठोर टिप्पणी की है। उसने कहा है कि पटवारियों व तहसील कार्यालयों में नामांतरण व जमीन संबंधी कार्यों के लिये किसानों व ग्रामीणों को बहुत अधिक परेशान होना पड़ता है। लोक सेवा गारंटी कानून बन जाने के पश्चात भी समय पर सेवायें प्रदाय नहीं हो रही हैं।
शराब की दुकानों के बारे में आयोग ने कहा है कि आवासीय क्षेत्रों की शराब की दुकानों से महिलाओं, छात्राओं व बच्चों को बहुत परेशानी होती है। आवासीय क्षेत्रों व बालकों/बालिकाओं के स्कूल के पास शराब की दुकान तत्काल प्रतिबंधित की जाना चाहिये। सरकारी तंत्र के विरुध्द और टिप्पणी करते हुये आयोग ने कहा है कि शिकायतों की जांच संबंधित विभाग गंभीरता से नहीं करते हैं। प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार शिकायतों को नस्तीबध्द कर दिया जाता है। दुर्गम स्थानों पर स्कूल न होने से बच्चों व बच्चियों को नदी-नाले पार कर जाना पड़ता है। ऐसे स्थानों पर प्राइमरी स्कूल खोले जाने चाहिये। बलात्कार पीडि़त बच्चियों के पुनर्वास व क्षतिपूर्ति राशि तत्काल दिये जाने के लिये नई योजना बनाई जाये जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना है।
पटवारियों के संबंध में भी आयोग ने कठोर टिप्पणी करते हुये कहा है कि राजस्व विभाग के पटवारी जिनको फसल नुकसान का सर्वेक्षण करना था, वे अपनी अनावश्यक व अनुचित मांगों के लिये हड़ताल पर चले गये थे जो आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है जिसके कारण गरीब व्यक्ति परेशान होते रहते हैं।
- डॉ नवीन जोशी
शासन संवेदनशील और अफसर संवेदनहीन, मप्र मानव अधिकार आयोग ने की तल्ख टिप्पणी
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