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132 साल पुरानी कांग्रेस को अब आई भगवान की याद

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Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 3573

संक्रमण काल से गुजरती पार्टी को धार्मिकता का सहारा

30 अप्रैल 2018। कभी पूरे देश में राज करने वाली कांग्रेस आज चार राज्यों में सिमट कर रह गई है। यही वजह है कि चाहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हो या कांग्रेस के चाणक्य दिग्विजय सिंह सभी मंदिरों में माथा टेकते दिखाई दे रहें है। मध्य प्रदेश के नए बने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी भगवान भरोसे ही भाजपा को हराना चाहते है। अध्यक्ष बनने के बाद उनकी पहली यात्रा मंदिर से शुरू होकर मंदिर पर ही खत्म होने वाली है।



अपनी अर्धांगिनी के साथ नर्मदा की 3300 किलोमीटर की कठोर यात्रा करते दिग्विजय सिंह को आध्यात्म के दर्शन तब हुए जब उनका ओर उन्हें बनाने वाली पार्टी कांग्रेस का 132 सालों में सबसे बुरा समय था। लिहाजा कांग्रेस को देश और प्रदेशों में सत्ता का रास्ता मंदिर से निकलता दिखाई दिया। मध्य प्रदेश के नए बने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को भी सरकार भगवान भरोसे बनते दिख रही है।यही वजह है अध्यक्ष बनने के बाद 1 मई को पहली बार प्रदेश आ रहे कमलनाथ की यात्रा की शुरुवात भोपाल के गुफा मंदिर में दर्शन के साथ होगी। अगले दिन 2 मई को कमलनाथ उज्जैन के महाकाल मंदिर जाएंगे शाम तक दतिया में माता जी को मत्था टेकेंगे। 4 तारीख को छिंदवाड़ा के हनुमान मंदिर जाएंगे इस उम्मीद में की शायद बजरंग बली की कृपा से 14 सालों के वनवास होगा भाजपा हारेगी।



तब तक नर्मदा परिक्रमा खत्म होने के बाद दिग्विजय सिंह तरोताजा हो चूकेंगे फिर निकलेंगे प्रदेश भर की भाजपा भगाओ यात्रा में लेकिन इसकी शुरवात होगी ओरछा के राम राजा मंदिर से ओर आने वाले महीनों में दिग्विजय सिंह प्रदेश भर के मंदिरों के दर्शन करेंगे इस उम्मीद में की उनके ओर उनकी पार्टी के ऊपर से हिन्दू विरोधी होने का दाग मिटेगा।



लेकिन कांग्रेस ने भगवान पर भरोसा तब किया जब देश पर राज करने वाली पार्टी चार राज्यों में कैसे सिमट गई पता ही नही चला। जब पता चला तब तक पार्टी पर हिन्दू विरोधी होने और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोप लग चुके थे। कांग्रेस ने अपना चेहरा बदलने से पहले अपनी पहचान बदलने की शुरुवात की। गुजरात में तब की कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने 26 मंदिर के दर्शन किये देश को संदेश दिया कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी नही।कर्नाटक के चुनाव आते आते राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गए और कांग्रेस हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाली पार्टी।कर्नाटक के दौरों की शुरुवात राहुल गांधी ने मंदिरों से की चर्च भी गए। संदेश गया की कांग्रेस ने न केवल अपना चेहरा बदला है बल्कि अपनी पहचान भी बदली है।



ये बात अलग है कि विरोधी कहते है दुख में सुमिरन सब करें सुख में करें न कोई जो सुख में सुमिरन करें तो दुख काहे को होय।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अब तक भूले हुए ये मंदिर कांग्रेस को,भूले हुए मतदाताओं के मत दिला पाएंगे या नही।



- डॉ. नवीन जोशी

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