Bhopal:
नई दिल्ली। नासा मंगल पर भेजे गए मार्स रोवर परसिवरेंस के माध्यम से धीरे-धीरे ही सही लेकिन अंतरिक्ष में एक मील का पत्थर स्थापित कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मिशन में रोवर के साथ भेजे गए जिस हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी पर नासा को गर्व है उसकी कमान एक भारतीय के हाथ में है। जीहां! ये सच है। इनका नाम है जे बॉब बलराम। मंगल ग्रह पर भेजे गए हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी के पीछे दरअसल बलराम की ही सोच रही है।
बलराम ने 1980 में आईआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटैक की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई अमेरिका में की। 1982 में उन्होंने वहां के रेंससिलर पॉलिटेक्नीक इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर एंड सिस्टम इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की ओर बाद में 1985 में यहीं से पीएचडी भी की। वर्तमान में बलराम मार्स हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी के चीफ इंजीनियर हैं। उनका मानना है कि ये हेलीकॉप्टर पृथ्वी से करोड़ों किमी दूर किसी दूसरे ग्रह पर पहली पावर कंट्रोल एरियल फ्लाइट के लिए एक टेक्नॉलिजी डेमोंस्ट्रेटर है।
नासा के मीट द मार्शियन पेज पर दिए गए बलराम के प्रोफाइल के मुताबिक वो नासा में इंजेंविनिटी के लिए एंटी, डिसेंट और लैंडिंग यानी ईडीएल सिम्यूलेटर को डेवलेप करने वाली टीम को लीड कर रहे हैं। उन्होंने एक अन्य साथी के साथ मिलकर प्लानेटरी रोवर सिम्युलेटर भी बनाया है। उनकी कामयाबी का सिलसिला यहीं पर खत्म नहीं होता है। उन्होंने नासा की उस डिजाइन टीम को भी लीड किया है जिसने मार्स एयरोबोट (एरियल रोबोट) परसेप्शन सिस्टम को डिजाइन किया है। उनके मार्ग दर्शन की बदौलत इस टीम ने वीनस बैलून गंडोला कंसेप्ट पर सफलतापूर्वक काम किया। इसके अलावा उन्होंने ही रॉकी-7 रोवर प्लेटफार्म ओर मार्स पर पहले भेजे गए स्प्रिट और ऑपरचुनीटी रोवर का प्रोटोटाइप बनाया है।
सांइस के प्रति उनका रुझान तो पहले से ही था लेकिन अंतरिक्ष को लेकर उनकी दिलचस्वी पर चांद पर अमेरिका के कदम रखने के बाद शुरू हुई। मजे की बात ये है कि जिस वक्त वो प्राथमिक स्कूल में थे तब तक वो नहीं जानते थे कि उन्हें क्या करना है और वो क्या करेंगे। उनके फैमिली टीचर्स के अलावा कुछ दूसरे लोगों की बदौलत उनमें अंतरिक्ष को लेकर रुझान पैदा हुआ था। नासा को उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री खत्म करने के बाद 1985 में चुना और जेट प्रपल्शन लैब में काम करना शुरू किया था। वो मार्स पर इंजेंविनिटी हेलीकॉप्टर डिजाइन, टेस्टिंग, ऑपरेशन के पीछे जुड़े सबसे खास शख्स हैं। इंजेंविनिटी के रूप में सामने आने वाली उनकी कल्पना से नासा ही नहीं पूरी दनिया को काफी उम्मीदें हैं।
अपनी इस जॉब में उन्हें सबसे खास लगता है किसी भी चीज की नीचे से शुरुआत करना। वो हमेशा सीखने और नई चीजों को बनाने में विश्वास रखते हैं। साथ ही उन्हें चुनौतियां पसंद है। इनसे पार पाकर ही वो खुशी का अनुभव करते हैं। जिस वक्त नासा के मार्स रोवर परसिवरेंस से निकलकर इंजेंविनिटी ने मंगल की सतह को छुआ था, वो पल उनके लिए सबसे यादगार था। वो मानते हैं कि हमारे डीएनए में ही एक्प्लोर करना शामिल है ओश्र मार्स इसके लिए सबसे बेहतर जगह है। वो मानते हैं कि युवाओं को अपने रास्ते खुद तलाशने चाहिए।
जानें- नासा के हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी के पीछे है किस भारतीय का कंंसेप्ट, टीम को कर रहे लीड
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