×

चीन ने बनाया "गर्भावस्था रोबोट", मानव प्रजनन का नया युग या नैतिक संकट?

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 256

बीजिंग/ग्वांगझू 22 अगस्त 2025। चीन के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम गर्भाशय तकनीक पर आधारित एक "गर्भावस्था रोबोट" विकसित करने का दावा किया है, जो भविष्य में मानव शिशुओं को जन्म देने में सक्षम हो सकता है। इसे लेकर विश्वभर में उत्साह और आशंका दोनों देखने को मिल रही हैं।

ग्वांगझू स्थित काइवा टेक्नोलॉजी के संस्थापक डॉ. झांग किफेंग का कहना है कि यह प्रोटोटाइप अगले वर्ष बाजार में आ सकता है। कंपनी का दावा है कि यह मशीन भ्रूण को दस महीने तक अपने अंदर सुरक्षित रख सकती है। इसकी संभावित लागत करीब 14,000 डॉलर है—जो कि मानव सरोगेसी की तुलना में बहुत सस्ती है।

◼️ बांझ दंपतियों के लिए वरदान या सवालों का पुलिंदा?
इस तकनीक को जहां बांझपन की समस्या से जूझ रहे दंपतियों के लिए एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, वहीं नैतिकता और सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल भी उठ रहे हैं।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि निषेचन प्रक्रिया, भ्रूण का प्रत्यारोपण और जन्म किस तरह से संभव होगा।
यह तकनीक किस हद तक प्राकृतिक गर्भाशय का वातावरण—तापमान, हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली—नकल कर पाएगी, यह भी सवालों के घेरे में है।
एक समय में कई गर्भधारण संभव होंगे या नहीं, इसकी भी जानकारी सामने नहीं आई है।

◼️ नैतिक और सामाजिक आशंकाएँ
कई विशेषज्ञों और आम लोगों का मानना है कि यह तकनीक प्रसव को “सेवा उद्योग” में बदल सकती है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने आशंका जताई कि भविष्य में अमीर वर्ग इसका फायदा उठाकर बच्चों के उत्पादन को व्यावसायिक रूप दे सकते हैं, जबकि गरीब वर्ग इस प्रक्रिया से बाहर रह जाएगा।

वहीं कुछ ने इसे एशियाई देशों की घटती जनसंख्या से जोड़ते हुए कहा कि चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसी सरकारें इसे तेजी से अपनाने को आतुर हो सकती हैं।



◼️ कानूनी पेच
तकनीकी चुनौतियों के साथ-साथ कानूनी सवाल भी खड़े हो रहे हैं—अगर बच्चा कृत्रिम गर्भ से जन्म ले तो कानूनी माता-पिता कौन होंगे? यदि प्रक्रिया में लापरवाही या नुकसान होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

◼️ वैश्विक परिप्रेक्ष्य
अमेरिका और जापान जैसे विकसित देश फिलहाल कृत्रिम गर्भाशय का इस्तेमाल सिर्फ समय से पूर्व जन्मे शिशुओं की देखभाल तक सीमित रखे हुए हैं। लेकिन चीन का यह प्रयोग मानव प्रजनन के भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है और संभव है कि आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर “प्रजनन तकनीक” की होड़ शुरू हो जाए।

Related News

Global News