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? ट्वीट किया, फंस गए पटवारी! मिलावट का शोर मचाया, पर सच्चाई ने साइलेंस कर दिया

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1203

27 जून 2025। इंदौर से रतलाम जाते वक्त मुख्यमंत्री मोहन यादव के काफिले की गाड़ियाँ बंद क्या हुईं, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने "मिलावट" का झंडा उठा लिया! लेकिन अफ़सोस, जो आरोप पटवारी ने सत्ता पर मढ़ा, वो पलटकर उन्हीं की राजनीतिक समझ पर भारी पड़ गया।

? ट्वीट तो चलाया… पर मामला कुछ और निकला!
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को लगा जैसे उन्हें मुद्दा मिल गया हो — बस फिर क्या, तुरंत ट्वीट कर दिया:
?️ "अब तो सत्ता के शीर्ष तक मिलावट है! चाल, चेहरे, चरित्र की ऐसी ही बनावट है!"

पर अफ़सोस... मामला न "चरित्र" का था, न "चाल" का — बल्कि एक पेट्रोल पंप के अंडरग्राउंड टैंक में घुसे बारिश के पानी का था!

? असली कहानी क्या है?
26 जून को सीएम डॉ. मोहन यादव इंदौर से रतलाम रवाना हुए। रास्ते में डोसीगाँव के भारत पेट्रोलियम पेट्रोल पंप पर काफिले की गाड़ियों में फ्यूल भरा गया। कुछ ही दूरी पर 19 गाड़ियाँ एक-एक कर खामोश हो गईं। प्रशासन ने तुरंत ऐक्शन लिया — पेट्रोल पंप सील, दूसरी गाड़ियों से सीएम की यात्रा सुनिश्चित।

जांच में सामने आया कि डीजल में 50% तक पानी मिला था! 20 लीटर की टंकी में आधा डीजल, आधा H2O! यहां तक कि एक ट्रक में भरे 200 लीटर डीजल के बाद वो भी झपक गया।

भारत पेट्रोलियम की शुरुआती जांच में सामने आया कि अंडरग्राउंड टैंक में बारिश का पानी रिसकर मिल गया, जिससे यह तकनीकी गड़बड़ी हुई। अभी यह तय नहीं है कि दोष पेट्रोल पंप मालिक का है या ऑइल कंपनी की लापरवाही का।

? लेकिन पटवारी जी ने तो पहले ही फैसला सुना दिया!
बिना जांच की प्रतीक्षा किए, बिना तथ्यों की पुष्टि किए, जीतू पटवारी ने "मिलावट" शब्द से सत्ता को लपेटने की कोशिश की। लेकिन अब ये सवाल उठने लगे हैं कि…

➡️ क्या पटवारी ट्वीट करने से पहले अपने पार्टी के पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स से बात नहीं कर सकते थे?
➡️ क्या कोई भी पेट्रोल पंप वाला सच में 50% पानी मिलाएगा, अपनी लाइसेंस की कब्र खुद खोदकर?

? गंभीरता की गिरती ग्रैविटी!
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से जीतू पटवारी का हर बयान “पलटीमार राजनीति” का पोस्टर बनता जा रहा है। बिना जांच, बिना फैक्ट, सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए ट्वीट करना — एक वरिष्ठ नेता की गरिमा से मेल नहीं खाता।

कहने को LLB पास हैं, लेकिन ट्वीट करने से पहले सबूतों की फाइल तो देखनी चाहिए थी!

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