
13 सितंबर 2025। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन को उनके नाम, छवि और व्यक्तित्व के अनधिकृत उपयोग से सुरक्षा देते हुए अंतरिम राहत दी है। अदालत ने डीपफेक, मॉर्फ़्ड इमेज और भ्रामक विज्ञापनों समेत किसी भी डिजिटल या एआई आधारित सामग्री के जरिए उनके व्यक्तित्व के शोषण पर रोक लगा दी।
अभिनेत्री की ओर से पेश अधिवक्ता प्रवीण आनंद ने इस आदेश को "बेहद महत्वपूर्ण" बताया और कहा कि यह भारत में प्रचार के अधिकार (Right of Publicity) को मज़बूत नींव प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “भारत में प्रचार का अधिकार किसी अलग कानून से संरक्षित नहीं है, बल्कि इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का विस्तार माना जाता है। यह फैसला सिर्फ मशहूर हस्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस आम व्यक्ति पर लागू होता है जिसकी आवाज़, छवि या नाम का इंटरनेट पर शोषण किया जाता है।”
अदालत ने माना कि बिना अनुमति किसी सेलिब्रिटी की पहचान का व्यावसायिक दोहन न केवल वित्तीय नुकसान पहुँचाता है, बल्कि उनकी गरिमा और साख को भी ठेस पहुँचाता है। कोर्ट ने गूगल, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और अन्य डिजिटल माध्यमों को निर्देश दिया है कि वे 72 घंटे के भीतर ऐसे यूआरएल हटाएं और उल्लंघनकर्ताओं की जानकारी सीलबंद लिफाफे में जमा करें। साथ ही, MeitY और आईटी विभाग को भी ब्लॉकिंग आदेश जारी करने को कहा गया है।
राय की कानूनी टीम ने अदालत को बताया कि उनके नाम पर मग, टी-शर्ट और पेय पदार्थ जैसे सामान बेचे जा रहे थे और “ऐश्वर्या नेशन वेल्थ” जैसी धोखाधड़ी वाली संस्थाओं में उन्हें गलत तरीके से अध्यक्ष दिखाया गया था। साथ ही, उनके नाम से अश्लील और एआई-जनित सामग्री का प्रसार उनकी छवि को गहरा नुकसान पहुँचा रहा था।
अदालत ने माना कि भारत की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में से एक और वैश्विक ब्रांडों की ब्रांड एंबेसडर के रूप में ऐश्वर्या राय को ऐसे दुरुपयोग से गंभीर प्रतिष्ठा हानि हुई है। अदालत का अंतरिम आदेश 15 जनवरी 2026 तक लागू रहेगा, जब तक इस मामले की अगली सुनवाई नहीं होती।