
11 अक्टूबर 2025। ऑनलाइन डेटिंग से निराश महिलाएं अब इंसानों की बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट्स की ओर आकर्षित हो रही हैं। 2025 के एक सर्वे के मुताबिक, तीन में से एक पुरुष और चार में से एक महिला ने माना कि उन्होंने AI पार्टनर के साथ रोमांटिक चैट की है।
हालांकि AI रोमांस पर पुरुषों की चर्चा ज्यादा होती है, लेकिन Reddit का /MyBoyfriendIsAI समुदाय (20,000+ सदस्य) बताता है कि महिलाएं भी इस दुनिया में तेजी से कदम रख रही हैं। यहां यूजर्स अपने चैटबॉट बॉयफ्रेंड के साथ रिश्तों की कहानियां साझा करते हैं—कभी वर्चुअल डेटिंग और कुकिंग, तो कभी रोलप्ले तक। कई महिलाएं भावुक होकर लिखती हैं कि AI साथी ने उन्हें कठिन वक्त में संभाला या दिखाया कि असली रिश्तों में वे क्या मिस कर रही थीं।
लेकिन हर रिश्ता परफेक्ट नहीं। कुछ महिलाएं बताती हैं कि जब उन्हें याद आया कि उनका "पार्टनर" महज़ कोड है, तो रिश्ता टूट गया। कई बार चैटबॉट का अपडेट या डेटा लॉस उसकी पर्सनालिटी ही बदल देता है।
◼️ क्यों बढ़ रही हैं AI बॉयफ्रेंड की चाहत?
किंग्स कॉलेज लंदन की AI विशेषज्ञ डॉ. केट डेवलिन के मुताबिक, “यह हैरानी की बात नहीं है कि महिलाएं AI साथियों को चुन रही हैं। ऑनलाइन दुनिया में उन्हें लगातार सेक्सिज़्म और दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है, जबकि AI साथी हमेशा सम्मानजनक और संवेदनशील रहता है।”
2025 के सर्वे के अनुसार, 54% महिलाएं मानती हैं कि उन्हें कोई ऐसा इंसान नहीं मिलेगा जिसके साथ वे वास्तव में खुश रह सकें। इस बढ़ती निराशा को अब एक नाम मिला है — हेटेरोफेटलिज़्म (heterofatalism)।
न्यूयॉर्क की मनोविश्लेषक अनत जोसेफ कहती हैं, “महिलाओं को समाज ने हमेशा रिश्तों को निभाने और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने की ज़िम्मेदारी दी है। जब यह सब थकाने वाला हो जाता है, तो एक ‘प्रिडिक्टेबल’ AI साथी बहुत राहत देता है।”
टोरंटो के मनोचिकित्सक अर्काडी वोल्कोव के अनुसार, जिन महिलाओं का इतिहास असुरक्षित या नियंत्रित रिश्तों का रहा है, उनके लिए AI साथी मानसिक रूप से अधिक सुरक्षित महसूस होता है — यहाँ कोई ज़बरदस्ती या हिंसा का खतरा नहीं।
दिलचस्प बात यह है कि पाँच में से एक युवा वयस्क, जिन्होंने AI पार्टनर आज़माया, अब इंसानों की तुलना में मशीन से बातचीत को ज़्यादा सहज मानते हैं।
◼️ “वायरसेक्सुअलिटी” और पहचान की बहस
कुछ महिलाएं खुद को वायरसेक्सुअल या डिजिसेक्सुअल कहने लगी हैं — यानी जो तकनीक से जुड़ी अंतरंगता को ही अपनी पहचान मानती हैं। यह शब्द 2017 में गढ़ा गया था, लेकिन अब इसका अर्थ विकसित हो रहा है। पहले यह इंसान-तकनीक के मिश्रित रिश्तों के लिए था, अब बिना इंसान के ही रिश्ते की बात हो रही है।
एलजीबीटी+ समुदाय में इस पहचान को लेकर बहस है कि क्या “वायरसेक्सुअलिटी” को क्वीर स्पेक्ट्रम में गिना जाना चाहिए।
◼️ विशेषज्ञों की चेतावनी: “डेटा और भावनाएं दोनों खतरे में”
साइबर लॉ विशेषज्ञ स्टार काशमैन के अनुसार, “AI चैटबॉट्स का असली मकसद मानवीय संबंध नहीं, बल्कि डेटा इकट्ठा करना और उपयोगकर्ता को प्लेटफॉर्म पर बांधे रखना है। अमेरिका में मजबूत डेटा प्राइवेसी कानून नहीं हैं, और ये चैट्स रिकॉर्ड होकर कंपनियों या पुलिस तक पहुंच सकती हैं।”
2024 में Muah.AI नाम की AI गर्लफ्रेंड साइट से 19 लाख यूजर्स का डेटा लीक हुआ था — जिसमें ईमेल और एआई-जनरेटेड इमेज शामिल थीं।
डॉ. डेवलिन कहती हैं, “कंपनियां अब भावनाओं को भी बेच रही हैं। उदाहरण के लिए, ऐप Replika ने अपने यूजर्स से उनके AI पार्टनर की ‘सेल्फी’ के लिए शुल्क लेना शुरू कर दिया है। कल कोई कंपनी यह क्यों न कह दे — ‘अगर आप प्रीमियम देंगे तो आपका AI साथी आपसे और ज़्यादा प्यार करेगा’?”
◼️ असली खतरा: मानव रिश्तों से दूरी
मनोचिकित्सक चेतावनी देते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक केवल AI के साथ ही भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखता है, तो असली रिश्तों का डर बढ़ सकता है।
वोल्कोव कहती हैं, “जब कोई व्यक्ति ‘परफेक्ट पार्टनर’ का आदी हो जाता है जो कभी नाराज़ नहीं होता या चुनौती नहीं देता, तो असली दुनिया के रिश्ते उसे असहज लगने लगते हैं।”
AI बॉयफ्रेंड फिलहाल अकेलेपन और भावनात्मक थकान का अस्थायी इलाज बन रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे ये रिश्ते कोड और कॉर्पोरेट लॉजिक में उलझते जा रहे हैं, सवाल यही है — क्या ये डिजिटल रोमांस इंसानों को बेहतर बनाएंगे या और ज़्यादा अकेला छोड़ देंगे?